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चाईबासा के दूरस्थ इलाकों में से एक गुदड़ी प्रखंड क्षेत्र में पुल का निर्माण कार्य अधूरा रहने के कारण पारंपरिक डोंगी के सहारे साल के छह महीने तक कारो नदी को पार करने को ग्रामीण मजबूर हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो गुदड़ी प्रखंड में विकास कार्य धरातल में नहीं उतर पाई है. दो वर्षों से कारो नदी पर पुल का हो रहा निर्माण कार्य अब तक अधूरा है.
पुल के निर्माण कार्य के अधूरा होने के कारण गुदड़ी प्रखंड कार्यालय से बांदु पंचायत की सीधी पहुंच अब तक संभव नहीं हो पाई है. परिणामस्वरूप प्रखंड के कर्मचारी, शिक्षक, ग्रामीण और स्कूली छात्र-छात्राएं अब भी कारो नदी को एक छोटी डोंगी के सहारे पार करने को मजबूर हैं.
बारिश के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ जाने के कारण यह रास्ता और भी खतरनाक हो गया है. कभी भी कोई बड़ा हादसा होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
ग्रामीणों ने कार्यशैली पर खड़े किए सवाल
गुदड़ी और कमरोड़ा पंचायत के कई गांवों तक पहुंचने के लिए यह पुल अत्यंत आवश्यक है, लेकिन निर्माण कार्य में हो रही देरी ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. डोंगी चालक जग्गु का कहना है कि साल के छह महीने ग्रामीण पारंपरिक डोंगी के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं.
नदी पार करने के एवज में ग्रामीणों से महीने में एक बार घर घर जाकर चावल लिया जाता है वहीं बाहरी लोगों से आने जाने का 40 रुपए किराया लिया जाता है. एक बार में 10 लोगों को नदी पार करवाया जाता है. बाइक को पार कराने का शुल्क 100 रुपए रखा गया है.
अप्रैल 2023 में पुल का हुआ था शिलान्यास
स्थानीय ग्रामीणों की लगातार मांगों व आंदोलनों के बाद वर्तमान सरकार के पिछले कार्यकाल में अप्रैल 2023 में करीब 11 करोड़ रुपये की लागत से 272 मीटर लंबे उच्चस्तरीय पुल का शिलान्यास किया था.
ठेकेदार ने दो साल के भीतर पुल के निर्माण को पूरा करने का वादा किया था. इसके बावजूद, 2025 की बरसात तक पुल निर्माण अधूरा है. गुदड़ी प्रखंड में तीन घाटों में नाव यानी डोंगी चलाया जाता है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द निर्माण पूरा नहीं हुआ, तो वे एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ने को बाध्य होंगे.