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बिहार में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण पर उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है. इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, शादाब फरासत और गोपाल शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग की. लाइव लॉ नेटवर्क के मुताबिक अब इस मामले में गुरुवार को सुनवाई होगी.
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष दलील देते हुए वरिष्ठ वकीलों ने कहा, “चुनाव आयोग के फैसले से लाखों मतदाताओं, खासकर महिलाओं और गरीब लोगों के अधिकारों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है.” सिंघवी ने कहा, “8 करोड़ मतदाता हैं और 4 करोड़ को गणना करनी है.”
आरजेडी के तरफ से पेश हुए सिब्बल ने कहा, “यह एक असंभव कार्य है.” शंकरनारायणन ने कहा, “वह आधार कार्ड, मतदाता कार्ड स्वीकार नहीं कर रहे हैं.” सिंघवी ने कहा, “निर्धारित समय बहुत कम है और इसके अनुसार अगर 25 जुलाई तक आप प्रमाण नहीं दे पाए तो आप सूची से बाहर हो जाएंगे.” न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, “अभी तक चुनाव की घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में समय सीमा की कोई वैधता नहीं है.”