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बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न प्रक्रिया का पहला चरण पूरा हो गया है. चुनाव आयोग ने बताया कि अब तक करीब 1 करोड़ 69 लाख यानी क़रीब 21 फ़ीसदी वोटरों के फ़ॉर्म जमा हो चुके हैं. आयोग ने यह भी साफ़ किया कि कुछ जगहों पर ऐसा कहा जा रहा है कि इस प्रक्रिया में बदलाव हुआ है, वह गलत है. यह पूरा काम पहले जारी हुए नियमों के मुताबिक़ ही हो रहा है.

आयोग के मुताबिक़, अब एक अगस्त को जो ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी, उसमें उन्हीं लोगों के नाम होंगे जिन्होंने अपने फॉर्म जमा किए हैं. लोग अपने ज़रूरी काग़ज़ 25 जुलाई तक दे सकते हैं. उसके बाद भी अगर किसी दस्तावेज़ में कमी होगी, तो दावे और आपत्तियों के समय पूरा करने का मौका मिलेगा.

बिहार में क़रीब 7 करोड़ 90 लाख मतदाता हैं. इनमें से अब तक 1 करोड़ 69 लाख फ़ॉर्म जमा हो चुके हैं. पिछले 24 घंटों में 65 लाख से ज़्यादा फॉर्म इकट्ठा हुए हैं. आयोग का कहना है कि इस काम में 77 हजार से ज़्यादा बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर लोगों के फ़ॉर्म भरवा रहे हैं. 20 हजार नए बीएलओ भी लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा करीब 4 लाख सरकारी कर्मचारी, एनसीसी और एनएसएस के लोग बुजुर्गों, बीमारों और दिव्यांगों की मदद कर रहे हैं.

अखिलेश यादव ने उठाए सवाल

बिहार में चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न को लेकर हो रहे विवाद पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग को बीजेपी के इशारे पर काम नहीं करना चाहिए.”

अखिलेश यादव ने कहा, “आप कल्पना करिए कि एक महीने के अंदर आठ करोड़ वोटरों की नई वोटर लिस्ट बनाना कितनी बड़ी एक्सरसाइज़ है. ये काम एक साल पहले क्यों नहीं किया गया. छह महीने पहले क्यों नहीं किया गया. आज ही क्यों किया जा रहा है जब चुनाव बिल्कुल सामने है. इसमें कहीं न कहीं सोची-समझी रणनीति है. भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर ये फै़सला लिया गया है.”

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