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राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने गुरुवार को ‘धरित्री कला केंद्र’ द्वारा जैप-1 सभागार में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम “अनुभूति” को संबोधित करते हुए कहा कि “अनुभूति” केवल कला की प्रस्तुति नहीं, बल्कि यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की निरंतरता का एक जीवंत प्रतीक है. उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं और युवा पीढ़ी में अनुशासन, संवेदनशीलता तथा राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करते हैं.
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के 4 अगस्त को हुए निधन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल एक राजनीतिक व्यक्तित्व की विदाई नहीं, बल्कि जनजातीय चेतना और अस्मिता की एक जीवित प्रेरणा का अवसान है. उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ एवं उनकी पुत्रवधु गार्गी ने पूर्व में राजभवन में भेंट कर इस कार्यक्रम हेतु उन्हें सादर आमंत्रित किया था. उन्होंने कार्यक्रम की तिथि में परिवर्तन कर दिवंगत दिशोम गुरु जी के प्रति सम्मान प्रकट करने के निर्णय को एक भावपूर्ण और सराहनीय पहल बताया.
अपने उद्बोधन में राज्यपाल ने गार्गी द्वारा अपने गुरुजनों पद्म विभूषण पं. बिरजू महाराज, पं. मुन्ना शुक्ला तथा मंजू मलकानी के प्रति अर्पित श्रद्धांजलि को गुरु-शिष्य परंपरा की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति बताया और कहा कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की आत्मा है.
उन्होंने धरित्री कला केंद्र की पूरी टीम को शास्त्रीय नृत्य ‘कत्थक’ के माध्यम से भाव, भक्ति और भारतीयता को सजीव रूप में प्रस्तुत करने हेतु बधाई दी. उन्होंने कहा कि “नृत्यं संगीतं विना संस्कृतिः न पूर्णा भवति” – अर्थात् नृत्य और संगीत के बिना संस्कृति अधूरी है.
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस कथन का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि “भारत की सांस्कृतिक शक्ति ही हमारी आत्मा है”, और कहा कि आज का यह कार्यक्रम उन्हीं विचारों की एक सशक्त और जीवंत प्रस्तुति है.
उन्होंने “अनुभूति” को एक प्रेरक परंपरा के रूप में आगे बढ़ते रहने की कामना करते हुए इसे नई पीढ़ी को सृजनशीलता, संस्कार और सांस्कृतिक चेतना से जोड़ने वाला मंच बताया. उन्होंने कलाकारों एवं आयोजकों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि झारखंड केवल खनिज संसाधनों के लिए नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक आत्मा के लिए भी पहचाना जाता है और ऐसे कार्यक्रम इस आत्मा को स्वर व गति प्रदान करते हैं.