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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद दिशोम गुरू शिबू सोरेन के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट का अगला दावेदार कौन होगा, इसे लेकर राजनीतिक हलकों में सवाल उठने लगे हैं. साल 2020 में 18 जून को राज्यसभा सांसद बने झामुमो के संस्थापक और 38 सालों तक अध्यक्ष रहे शिबू सोरेन का कार्यकाल अगले साल 2026 में जून महीने तक था, लेकिन अचानक उनके निधन हो जाने के कारण अब उनकी सीट पर उपचुनाव होना तय है.

ऐसे में सवाल यह है कि नए चुने जाने वाले सांसद का कार्यकाल कितना होगा. क्योंकि यह राज्यसभा उपचुनाव होगा, इसलिए उनकी जगह चुने जाने वाले नए सांसद का कार्यकाल शेष बचे हुए दस महीने या उससे कम का होगा. क्योंकि यह चुनाव आयोग को तय करना है कि राज्यसभा सीट के लिए उपचुनाव कब होता है. इस उपचुनाव के नामों के दावेदारों में झामुमो, कांग्रेस के कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं तो वहीं सीता सोरेन की घर वापसी करा कर उन्हें भी राज्यसभा भेजे जाने के कयास लग रहे हैं.  

झामुमो की दावेदारी की अहमियत कितनी

दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट पर आने वाले दिनों में होने वाले उपचुनाव पर सबसे पहली दावेदारी झामुमो की ही नजर आ रही है क्योंकि यह सीट उनके कोटे के तहत ही खाली हुई है. ऐसे में इस उपचुनाव में झामुमो यदि दावेदारी करती है तो झामुमो के कई नेता संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं. हालांकि उम्मीदवार का चयन झामुमो नेतृत्व व राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए आसान नहीं होगा. 

झामुमो नेतृत्व के समक्ष सबसे बड़ा सवाल यह होगा कि जिस ऊंचे कद के नेता के निधन के कारण राज्यसभा की सीट खाली हुई है, उस कद के जैसा कोई नेता अब पार्टी में नहीं है. ऐसे में पार्टी के कई नेता इस सीट से सीएम हेमंत की मां रूपी सोरेन को राज्यसभा भेजे जाने के पक्ष में हैं. उनका तर्क है कि गुरुजी के संघर्षों के दिनों में उनके साथ कदम से कदम मिलाने वाली रूपी सोरेन के अलावा कोई और उपयुक्त उम्मीदवार नहीं हो सकता. रुपी सोरेन पूर्व में 1999 में दुमका से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं हालांकि उन्हें बाबूलाल मरांडी के हाथों 4648 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था.

रूपी सोरेन के अलावा जिन्हें संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है उसमें पार्टी के केंद्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्या, बहड़ागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी के अलावा सीएम हेमंत सोरेन की बहन अंजलि सोरेन के नामों की चर्चा जोरों पर है. अंजलि सोरेन उड़ीसा में पार्टी का चेहरा मानी जाती हैं, ऐसे में पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजकर उड़ीसा में पार्टी के विस्तार को मजबूती प्रदान कर सकती है. इसके अलावा एक चर्चा यह भी है कि सीता सोरेन की घर वापसी कराकर उन्हें राज्यसभा में भेज दिया जाए. पार्टी के कई समर्थक भी इसके समर्थन में हैं, हालांकि यह फैसला सीएम हेमंत सोरेन पर निर्भर करता है. 

कांग्रेस को मिल सकता है मौका 

राज्यसभा उपचुनाव को लेकर एक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि महज दस महीने के लिए यह सीट कांग्रेस को दे दी जाए और इसके बदले बिहार विधानसभा चुनाव में जेएमएम के लिए कुछ सीट कांग्रेस और राजद से हासिल कर ली जाए. क्योंकि झामुमो पार्टी विस्तार के तहत बिहार में चुनाव लड़ने की तैयारी में है और इसे लेकर लगातार वह महागठबंधन के सहयोगी दलों पर दबाब बना रही है. इस फॉर्मूले के तहत कोशिश यह भी हो सकती है कि जून 2026 में जब दो सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव होंगे तो उस समय कांग्रेस और जेएमएम दोनों एक-एक सीट अपने में बांट ले. यदि कांग्रेस को यह मौका मिला तो पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय इसके बड़े दावेदार हो सकते हैं.

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