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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया. राज्यसभा में मंगलवार को पीठासीन अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने सदन को आसन की ओर से यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के तहत उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के तत्काल प्रभाव से इस्तीफे की मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दी.

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गौरतलब है कि धनखड़ ने संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन सोमवार रात स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अपना त्याग-पत्र राष्ट्रपति को भेजा था. अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि मैं स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं.

हालांकि उप राष्ट्रपति के रूप में जगदीप धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त, 2027 तक था. वहीं धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद मंगलवार को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सदन की सुबह की कार्यवाही की अध्यक्षता की. धनखड़ उपराष्ट्रपति के नाते राज्यसभा के पदेन सभापति भी थे.

चहेते उप राष्ट्रपति को क्यों कुर्सी से धकेला

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को यह देश को बताना चाहिए कि चहेते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को क्यों उनकी कुर्सी से धकेल दिया गया.देश के संसदीय इतिहास में यह अपने तरह की पहली घटना है, जब एक उपराष्ट्रपति को दो साल पहले इस्तीफा देने के लिये बाध्य किया गया.

सोमवार को हरमू स्थित पार्टी के कैंप कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही का पूरा आकलन करने पर साफ होता है कि खुद उपराष्ट्रपति विपक्ष को प्रोजेक्शन देना चाह रहे थे. साथ ही सदन की कार्यवाही सूची में ऑपरेशन सिंदूर और सेना के पराक्रम को सूचीबद्ध नहीं किये जाने से वे दुखी थे. कार्यवाही के दौरान जेपी नड्डा ने आसन को चुनौती दी.

जेएमएम महासचिव ने कहा कि जगदीप धनखड़ जाट समाज से आते हैं. किसानों का हित उनके लिये सर्वोपरि था. वे तीन किसान बिल के विरोधी थे. यही कारण रहा कि उनकी अनुपस्थिति में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को आसन में बैठाकर रातों-रात ये बिल पास कराये गये. फिर भी अंततः सरकार को इन विलों को वापस लेना पड़ा.

इस्तीफे पर कांग्रेस राजद ने भी उठाये सवाल

इधर झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सह मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने उप राष्ट्र‌पति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि क्या वाकई स्वास्थ्य कारणों से घनखद ने इस्तीफा दिया है या इसके पीछे कुछ और कारण हैं? राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू के अनुपस्थित रहने से जगदीप धनखड़ को बुरा लगा होगा, जो उनके इस्तीफे का एक कारण हो सकता है. लेकिन उन्होंने बेहद चौंकाने वाला कदम उठाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

वहीं राजद के प्रदेश महासचिव सह मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने कहा कि आजाद भारत में पहली बार उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिए जाने का मामला सामने आया है, जो अफसोसजनक और चिंताजनक विषय है. दरअसल उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा नहीं दिया है, उन्हें दिलाया गया है. कैलाश यादव ने कहा कि मोदी शासन में जो मन की बात सुनेगा, वही चेयर पर राज करेगा. केंद्र में वर्ष 2014 से मोदी सरकार के शासनकाल में बीजेपी नेताओं और मंत्रियों द्वारा खुलेआम देश की लोकतांत्रिक व संवैधानिक व्यवस्था का घोर अपमान किया जा रहा है.

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