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रमज़ान चल रहा है। ईद, रामनवमीं और सरहुल दस्तक देने को है। लेकिन झारखंड में भविष्य बनाने का काम करने वाला एक तबक़ा दर-दर भटकने को मजबूर है। पकौड़ा छान कर घर-परिवार चलाने को अभिशप्त है। बात राज्य सरकार की हो या केंद्र सरकार की शिक्षा को मज़बूत करने पर बल तो देती है, लेकिन धरातल पर इनके वादे-दावे हवाई ही साबित होते हैं। सूबे की राजधानी रांची में ही पढ़ाने-लिखाने जैसी सेवा से जुड़े उस्ताद अपनी विपदा यहाँ-वहां सुनाकर अब थक गए जान पड़ते हैं। मरता क्या न करता! विधानसभा हो या राजभवन गेट के समक्ष पकौड़ा छानने के लिए मजबूर हो गए हैं।
जानिये क्या है पूरी कहानी
रांची विश्वविद्यालय में 124 अतिथि शिक्षक अपनी सेवा दे रहे थे। उन्हें विश्वविद्यालय को समायोजित करना था। मामला झारखंड हाइकोर्ट में चल रहा था। लेकिन विश्वविद्यालय ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए पिछले वर्ष इनको समायोजित करने की बजाय निष्कासित कर दिया। जबकि अदालत का स्पष्ट निर्देश था कि जब तक मामला विचाराधीन है, अतिथि शिक्षकों को सेवा से हटाया नहीं जायेगा। पीड़ित शिक्षकों का कहना है कि आरयू की साजिश और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की गलती के कारण उनकी ये दुर्गति हो गई है। सरकार की अंतिम कैबिनेट के निर्णय का भी दुरुपयोग किया गया। पहले शिक्षकों को मौखिक रूप से कक्षा लेने से मना किया गया। फिर बॉयोमेट्रिक से नाम हटा दिया गया। इसके बाद रजिस्टर से नाम हटाने के साथ परीक्षा ड्यूटी से भी मुक्त कर दिया गया।
विधानसभा से राजभवन तक लगा रहे गुहार
रांची विश्वविद्यालय के 124 अतिथि शिक्षक आवश्यकता आधारित शिक्षक के साथ समायोजन के लिए एक साल से विधानसभा से राजभवन तक गुहार लगा रहे हैं। सोमवार को राजभवन गेट के समक्ष पकौड़ा छानते हुए ये दिखलाई दिए। झारखंड अतिथि शिक्षक संघ के बैनर तले हुए प्रदर्शन में नारे भी गूँज रहे थे। जिसमें कुलपति को तानाशाह बताया जा रहा था तो उनके साथ उच्च शिक्षा सचिव राहुल पुरवार को इस्तीफा देने की मांग भी शामिल थी। रांची विश्वविद्यालय (RU) के पीड़ित शिक्षकों को जगन्नाथ मंदिर के पास मंगलवार को प्रदर्शन करना था। झारखंड अतिथि शिक्षक संघ से जुड़े डॉ. नाजिश हसन ने बताया कि उन लोगों ने चाय और चना बेचने के लिए सोचा था। लेकिन जब उन्हें रोका गया तो विधानसभा के समक्ष उन्होंने धरना दिया। अतिथि शिक्षक RU के VC डॉ. अजीत सिन्हा और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव राहुल पुरवार के निलंबन की मांग कर रहे थे। मौके पर डॉ. रीना कुमारी, दीपशिखा, सूरज विश्वकर्मा, राजू हजम, डॉ. तल्हा नकवी, निहारिका महतो, शाहबाज आलम, डॉ. नाजिश हुसैन, डॉ. अभिषेक, डॉ. चक्षु पाठक, पूनम कुमारी, सतीश तिर्की, रफत, आशीष प्रसाद, सबील लकड़ा, डॉ. सुल्ताना परवीन आदि मौजूद रहे।
क्या कहता है आन्दोलनकारी झारखंड अतिथि शिक्षक संघ
झारखंड अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने कहा कि हेमंत सरकार पार्ट -1 की अंतिम कैबिनेट में अतिथि शिक्षकों के पक्ष में प्रस्ताव पर मुहर लगी थी। उनकी सेवा आवश्यकता आधारित शिक्षक के रूप ली जानी थी। परंतु उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग से संकल्प भ्रामक बना, जिसके कारण समायोजन की जगह निष्कासन की स्थिति उत्पन्न हो गई। जिसके कारण अब हमें सड़क पर पकौड़ा बेचना पड़ रहा है। जबकि हम लोगों की नियुक्ति राज्य सरकार के द्वारा आवश्यकता आधारित शिक्षक से पहले भी हुई है। संयोजक डॉ. धीरज कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि 1609 संकल्प को खारिज किया जाए और हम लोगों की विश्वविद्यालय द्वारा अनुशंसा कर और आवश्यकता आधारित शिक्षक के रूप में समायोजित किया जाए। वही राजू हजम ने कहा कि कुलपति अजीत कुमार सिन्हा और उच्च शिक्षा के सचिव राहुल पुरवार की गलतियों का खामियाजा हम लोगों को भुगतना पड़ रहा है, सरकार जल्द से जल्द संज्ञान लेकर हमारी समस्या का समाधान करे।
अतिथि शिक्षक के नहीं रहने से पठन-पाठन पर असर
पीड़ित और प्रदर्शनकारी अतिथि शिक्षकों का कहना है कि उनके नहीं रहने से पठन-पाठन पर असर पड़ रहा है। इसका कारण विश्वविद्यालय प्रशासन और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव का गलत निर्णय है। मॉडल डिग्री कॉलेज घाघरा, बीएस कॉलेज लोहरदगा, केओ कॉलेज गुमला, मारवाड़ी कॉलेज रांची, डोरंडा कॉलेज, एसएस मेमोरियल कॉलेज, रामलखन सिंह यादव कॉलेज, जेएन कॉलेज सहित पीजी विभागों पर इसका असर पड़ने की बात कही गयी है।