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गोड्डा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम नीरज कुमार विश्वकर्मा की कोर्ट ने जेल में बंद महिला खैरुन निशा एवं उसकी बेटी बीबी अंगुरी को हत्या के एक मामले में दोषी करार देते हुए दोनों को आजीवन सश्रम कारावास की सजा एवं 25 हजार रुपये जुर्माना से दंडित किया है. जुर्माना नहीं भरने पर आरोपी को छह महीने की सजा अलग से भुगतनी होगी. दोनों पर अपनी ही बहू की हत्या करने का आरोप था.

दर्ज प्राथमिकी के अनुसार मामले की सूचिका शहनाज बीबी जो खैरुन निशा की बहू थी 25 मार्च 2022 को घर पर थी तथा उसका पति मो. हशबुलला कमाने बाहर दूसरे राज्य में गया था. सूचिका के पुत्र की तबियत बहुत खराब हो गई थी. सूचिका शहनाज बीबी ने बच्चे को डाक्टर को दिखाने हेतु अपनी सास खैरुन निशा से पैसे की मांग की तो उसकी सास झगड़ा करने लगी.

इस दौरान उसकी ननद बीबी अंगुरी, जो अपने ससुराल कुशाहा से चार दिन पहले आई थी ने भी अपनी मां खैरुन निशा का साथ देते हुए सूचिका के साथ मारपीट भी किया. इसी बीच खैरुन निशा ने शहनाज बीबी के उपर किरासन तेल डाला और बीबी अंगुरी ने माचिस से आग लगा दिया. हल्ला होने पर दौड़े लोगों ने सूचिका शहनाज बीबी को अस्पताल लाया जहा ईलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई. दोनों मां- बेटी 10 अक्टूबर 2022 से जेल में हैं. न्यायालय के समक्ष अभियोजन की ओर से दस गवाहों का परीक्ष्ण कराया गया.

पलामू में हत्याकांड के चार आरोपी को उम्र कैद की सजा

पलामू जिला व्यवहार न्यायालय के अष्टम जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आयशा खान की अदालत ने हत्या के चार आरोपी को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वही 20-20 हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया है. अर्थदंड की राशि नहीं देने पर छह माह अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी. 

दर्ज मामले के अनुसार विश्रामपुर थाना के बड़की कौड़िया गांव के फूलचंद यादव ने विश्रामपुर थाना में आरोपियों के विरुद्ध हत्या के बारे में प्राथमिकी दर्ज कराया था. यह प्राथमिकी 9 जुलाई 2018 को दर्ज हुई थी. इसमें आरोपियों पर आरोप था कि खेत जोतने को लेकर लड़ाई हुई थी, जिसके बाद अभियुक्तों द्वारा खेत में ही ददई यादव व रघुराई यादव की हत्या कर दी गई. 

अदालत ने मिले साक्ष्य के आधार पर दोषी पाते हुए नावाबाजार थाना के ललन यादव, गोविंद यादव, नारद यादव और अमृत यादव को भारतीय दंड विधान की धारा 302 में सश्रम आजीवन कारावास की सजा व 20-20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी. वहीं भारतीय दंड विधान की धारा 307 में सात वर्ष कारावास की सजा व पांच पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया है. दोनों सजाये साथ-साथ चलेगी.

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