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झारखंड की राजधानी रांची में आज महाप्रभु जगन्नाथ की भव्य और ऐतिहासिक रथयात्रा निकलेगी. इससे पहले 15 दिनों के एकांतवास के बाद गुरुवार को महाप्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भाई बलभद्र भक्तों के बीच आये. आज शाम पांच बजे से भगवान का रथ खींचा जायेगा. इससे पहले पूर्वाहन दो बजे भगवान को रथ पर विराजमान किया जायेगा.
हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम का रथ खींचने मुख्य मंदिर पहुंचेंगे. श्रद्धालु प्रभु का रथ खींचकर उन्हें मौसीबाड़ी तक लायेंगे. इस मौके पर श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए जुटेंगे.
इसके साथ ही आज से रांची के जगन्नाथपुर में जगन्नाथ मेले की भी धूम शुरू हो जाएगी. जगन्नाथपुर में सात जुलाई तक मेला का आयोजन हो रहा है. मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर बनने और मॉनसून के अत्यधिक सक्रिय रहने के कारण आज बारिश के बीच रथयात्रा निकलने की संभावना है.
रथयात्रा के दिन पूरी रांची महाप्रभु जगन्नाथ की भक्ति में लीन दिखती है. इस दिन जिले के अलग-अलग इलाकों से प्रभु की रथयात्रा निकाली जाती है, जिसमें इतिहास की झलक नजर आती है. यहां राज परिवार और जमींदारों की परंपराओं को आज भी जीवंत रखा गया है. रांची के रातू और इटकी में वर्षों पुरानी ऐतिहासिक रथयात्रा का आयोजन किया जाता है.
मेले की सुरक्षा को लेकर चौकस पुलिस
जगन्नाथपुर में रथयात्रा और मेले की सुरक्षा को लेकर रांची पुलिस की पूरी तरह से चौकस नजर आ रही है. एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा सुरक्षा व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, तो वहीं पूरे मेले की निगरानी ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से की जा रही है. इसे लेकर कमांड सेंटर बनाया गया है, जहां ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से मिलने वाले फुटेज पर नजर रखने के लिए कई मॉनिटर लगाये गये हैं. मेला की सुरक्षा में 1000 महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है.
इसके अलावा टीयर गैस दस्ता, वज्र वाहन, फायर ब्रिगेड की गाड़ी और एंबुलेंस आदि की भी तैनाती की गई है. प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर तक कई वॉच टावर भी बनाये गये हैं, जहां दो से अधिक हथियार बंद जवानों को तैनात किए गए हैं. मेले की सुरक्षा में 8 डीएसपी और 50 से अधिक इंस्पेक्टरों को तैनात किया गया है. इसके अलावा सादे लिबास में भी पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.
रातू में राजपरिवारों की तो इटकी में 250 सालों की परंपरा
छोटानागपुर की ऐतिहासिक रथयात्रा रातू किला स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से निकाली जाती है. इसके बाद उन्होंने पुरी से कारीगर बुलाकर नीम की लकड़ी से भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की मूर्तियां बनवाकर मंदिर की स्थापना की. रथयात्रा मंदिर से 500 मीटर दूर मौसीबाड़ी (शिव मंदिर) तक जाती है और उसी दिन वापस लौटती है. रथ पर राजपरिवार के सदस्य भी सवार होते हैं. वहीं इटकी प्रखंड में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा का इतिहास करीब 250 साल पुराना है.
यह परंपरा जमींदार परिवार की पांचवीं पीढ़ी द्वारा अब भी निभायी जा रही है. लाल रामेश्वर नाथ शाहदेव ने बताया कि उनके पूर्वज मंगलनाथ साय ने पुरी यात्रा के बाद यहां मिट्टी का मंदिर बनवाकर रथयात्रा की शुरुआत की थी. बाद में उनकी दादी लक्ष्मी देवी के प्रयासों से साल 1945 में पक्के मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. यहां 1947 में मूर्तियों की स्थापना की गयी. मंदिर की ऊंचाई लगभग 80 फीट है.