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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कार्यकारणी सदस्य सह जिला सचिव अजय सिंह ने पलामू के एमएससीएच अस्पताल में नकली दवा के सप्लाई होने के कई दिन बीत जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर चिंता जताई है. इस मामले को लेकर उन्होंने कहा कि पलामू के अस्पतालों में 20 में से 18 दवाओं की जांच में नकली होना और उसके बावजूद सिविल सर्जन पलामू के द्वारा यह कहना कि सप्लायर ने खराब दवा दिया है, वह बदलकर पुनः दूसरा दवा उपलब्ध कराएगा, इससे साफ है कि सप्लायर और पलामू सिविल सर्जन व अस्पताल अधीक्षक की मिलीभगत है. जब सप्लायर और दवा देने वाली गुजरात की फार्मेसी कंपनी नकली दवा का सप्लाई कर चुका है तो प्रथम दृष्टया इन पर प्राथमिक दर्ज होनी चाहिए.
जांच कमिटी की रिपोर्ट 5 साल बाद भी नहीं
भाकपा नेता ने कहा कि इससे पहले भी कोरोना काल में जब रांची के सदर अस्पताल कैंपस में ड्रग इंस्पेक्टर ऑफिस से जब्त सैंपल की चोरी हुई थी तो सीपीआई ने उस समय के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से ड्रग माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. स्वास्थ्य मंत्री ने जनता दरबार में कहा था कि बड़े पैमाने पर नकली दवा झारखंड में सप्लाई हो रही है, एक जांच कमिटी का गठन भी किया गया था मगर आज तक उस जांच कमिटी की रिपोर्ट सार्वजानिक नहीं की गई.
अजय सिंह ने कहा कि पलामू जिला समेत राज्य के सभी जिलों के सरकारी अस्पतालों में हजारों लोग इलाज करने आते हैं लेकिन स्वास्थ्य महकमा, दवा कंपनियां, सप्लायर और सिविल सर्जन यह सभी लोग मिलकर झारखंड के आम लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. नकली दवाओं की आपूर्ति होने के खुलासे के बावजूद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं होना यह दर्शाता है कि उन पर किसी बड़े का हाथ है.
ऐसे में पार्टी मांग करती है कि इन दवा सप्लायर सहित दोषी सभी पदाधिकारी पर आपराधिक कार्य में लिप्त पाए जाने की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज होना चाहिए ताकि राज्य की जनता के जीवन से खिलवाड़ न हो सके. हेमंत सरकार इस कृत्य पर संज्ञान लेते हुए ड्रग माफियाओं पर कानूनी कार्रवाई करे.