बिहार में पहली बार एक परमाणु रिएक्टर स्थापित होगा
पुष्प रंजन
विकसित व समृद्ध राज्यों को बड़े परमाणु रिएक्टर। बिहार को पहली बार एक ठो छोटा मॉड्यूलर रिएक्टर मिलेगा। इसी बात पर गच्च हो जाइये ! बिहार, भारत के उन पहले छह राज्यों में शामिल होगा, जिन्हें देश के नए परमाणु ऊर्जा मिशन के तहत अपना पहला परमाणु संयंत्र मिलेगा। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने केंद्र की मंजूरी के बाद, राज्य में एक छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्र की घोषणा की। भारत बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार ने 2031-32 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को मौजूदा 8,180 मेगावाट से बढ़ाकर 22,480 मेगावाट करने के लिए कदम उठाए हैं।
परमाणु ऊर्जा की पाँत में सबसे आखिर में
इस विस्तार में गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कुल 8,000 मेगावाट के दस रिएक्टरों का निर्माण और कमीशनिंग शामिल है। इसके अतिरिक्त, 2031-32 तक क्रमिक रूप से पूरा होने की योजना के साथ, दस और रिएक्टरों के लिए पूर्व-परियोजना गतिविधियां शुरू हो गई हैं। इसके अलावा, सरकार ने आंध्र प्रदेश राज्य के श्रीकाकुलम जिले के कोव्वाडा में यूएसए के सहयोग से 6 x 1208 मेगावाट परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। खट्टर की घोषणा से समझ लीजिये, बिहार कहाँ खड़ा है? परमाणु ऊर्जा की पाँत में सबसे आखिर में, उपेक्षित और याचक अवस्था में।
बिहार को भिखारी जैसी अवस्था में लाने वाले
यहाँ के जो नेता केंद्र में बैठे हैं, उन्हें केवल भारत-पाकिस्तान कर अपना नंबर बनाये रखना है। बिहार को भिखारी जैसी अवस्था में लाने वाले, और कोई नहीं, केंद्र में इस सूबे से गए स्वार्थी व ग़ैर ज़िम्मेदार नेता हैं। भारत अपनी छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) की सक्रिय रूप से खोज कर रहा है। एसएमआर, उन्नत परमाणु रिएक्टर हैं, जिनकी बिजली उत्पादन क्षमता 30 मेगावाट से लेकर 300+ मेगावाट तक होती है, जो पारंपरिक बड़े परमाणु रिएक्टरों के लिए एक लचीला, स्केलेबल और लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करते हैं। चुनावी साल में बिहार को ऐसे एक छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर देने की कृपा मोदी सरकार करेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। देश विदेश के कई महत्वपूर्ण मीडिया हाउस में संपादक रहे।)
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