केपी मलिक
भाजपा 2027 में यूपी की सत्ता को बरकरार रखने के लिए तमाम रणनीती के तहत अपने कील कांटे तैयार कर रही है। क्योंकि भाजपा जानती है कि अगर यूपी में सपा और कांग्रेस पार्टी का गठबंधन बरकरार रहता है तो पिछड़ा, दलित और मुसलमान का बड़ी संख्या में लोकसभा चुनाव की तर्ज पर सपा-काग्रेस के साथ जा सकता है। उसको रोकना भाजपा के ज़रूरी है। वहीं दूसरी ओर चंद रोज़ के लिए मायावती के उत्तराधिकारी बने आकाश आनंद के लोकसभा चुनाव के दौरान दिखे तेवर को देखते हुए, मायावती पर दबाव बनाकर आकाश आनंद को पैदल कराना भी भाजपा की इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इसके अलावा भाजपा अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढाते हुए संभल, बदायूं अलीगढ होते हुए मथुरा तक के सफ़र की रणनीति भी तैयार कर रही है। जिसके तहत मथुरा के कृष्ण जन्म भूमि मंदिर को केंद्र में रखकर यादव वोट बैंक में सेंध लगाकर 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा को झटका और भाजपा को बड़ी जीत दिलाई जा सके।
बहरहाल किसी भी क़ीमत पर यूपी में भाजपा को विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति के तहत पार्टी के चाणक्य अमित शाह का फॉर्मूला-2 भी तैयार है अगर पिछली रणनीति में कोई भी कमी पेशी नजर आती है तो तत्काल फार्मूला-2 लागू किया जा सके। फार्मूला टू यह है कि प्रदेश के तीन या चार हिस्से कर दिए जाएं और प्रदेश में भाजपा के लिए परेशानी का सबब बने यादव और जाटों को दो या तीन टुकड़ों में बांट दिया जाए। जिससे वहां पर उनका प्रभुत्व ही खत्म हो जाए। भारतीय जनता पार्टी के इस बंटवारे की रणनीति से जहां बसपा अध्यक्ष मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और रालोद के जयंत चौधरी का तो इलाज़ होगा ही साथ ही शीर्ष नेतृत्व यानि गुजरात लॉबी के लिए सिर दर्द बन रहे मठाधीश सीएम योगी आदित्यनाथ का भी इलाज हो जाएगा।
रालोद बेगानी शादी में खुद ही अब्दुल्ला दीवाना
पश्चिम उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का दुर्भाग्य देखिए, जिनको प्रदेश की विधानसभा और देश की संसद में किसानो की आवाज उठाने की जिम्मेदारी दी थी। क्षेत्र में गन्ना किसान आत्महत्या कर रहे हैं और रालोद और उसके नेता तमिलनाडु में हिंदी बचाओ अभियान चला रहे हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के सरधना विधायक गन्ना और चौधरी चरण सिंह की तस्वीर को लेकर यूपी विधानसभा के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। क्या पश्चिमी यूपी के किसानों ने इसी दिन को देखने के लिए राष्ट्रीय लोकदल को मजबूत करने का काम किया था? 14 दिन में गन्ने का बकाया भुगतान? गन्ने का मूल्य 400 के पार और हाथरस की लाठी का समाधान हो चुका? बहरहाल क्या आप राष्ट्रीय लोकदल की इस कार्य शैली से सहमत है? क्या इनको पश्चिम उत्तर प्रदेश की जनता और किसान मज़दूर की आवाज उठाने को छोड़कर तमिलनाडु की राजनीति पर फोकस करना चाहिए? दरअसल तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है। चर्चा है कि भाजपा वहां से अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर भी विचार कर रही है, तो क्या ऐसे में भाजपा रालोद का एक टूल के रूप में प्रयोग कर रही है? और इसी वजह से रालोद प्रमुख जयंत चौधरी भाजपा के इशारे पर तमिलनाडु की बात मेरठ यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में कर रहे हैं? या रालोद बेगानी शादी में खुद ही अब्दुल्ला दीवाना बना हुआ जा रहा है? आप क्या सोचते हैं।
(लेखक वरिष्ठ राजनितिक पत्रकार हैं। सम्प्रति भास्कर से सम्बद्ध।)
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