केपी मलिक
क्या भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष तमिलनाडु या दक्षिण से होगा? क्या भाजपा ने सियासी रणनीति के तहत पीके को तमिलनाडु में उतारा है? बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी रणनीति से संन्यास लेकर अपनी पार्टी ‘जन सुराज’ बनाने वाले प्रशांत किशोर अब दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण राज्य तमिलनाडु की ‘रणभूमि’ में रणनीति बनाते नजर आएंगे। खबरों के मुताबिक पीके तमिलनाडु में अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके के लिए 2026 के विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करेंगे। पिछले दिनों चेन्नई में पीके ने अपनी नई भूमिका की घोषणा करते हुए उन्होंने दावा किया कि वे विजय की पार्टी को चुनावी जीत दिलाएंगे। बिहार छोड़कर तमिलनाडु पहुंचे पीके के इस चौंकाने वाले ऐलान के बाद चुनाव विश्लेषक कयास लगा रहे हैं कि क्या प्रशांत किशोर भाजपा के इशारे पर तमिलनाडु में पार्टी के लिए माहौल बनाने का काम करेंगे? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा ने जिस रणनीति के तहत पीके को बिहार भेजा था वह रणनीति नीतीश और लालू को कम भाजपा को ज़्यादा नुकसान करती हुई दिखाई दे रही है। इसलिए भाजपा ने पीके को बिहार से दूर करने का फैसला कर लिया है?
दरअसल खबरें यें भी भाजपा उत्तर भारत के हिंदी पट्टी के क़रीब क़रीब तमाम राज्यों में अपना दबदबा कायम कर चुकी है। अब भाजपा की नजर दक्षिण भारत के राज्यों पर है। कयास लगाए जा रहे हैं कि उसी रणनीति के तहत प्रशांत किशोर ने तमिलनाडु का रुख किया है। जिसमें उन्हें तमिलनाडु में फिल्म स्टार थलापति विजय की पार्टी टीवीके का साथ मिला है। ज़ाहिर है कि तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, और इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा भी तमिलनाडु में अपनी किस्मत आजमाना चाहती है।
फिर टला भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव!
सियासत भी क्या चीज है, सियासत में किस्मत का खेल महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की किस्मत देखिए कि उनके कार्यकाल में भाजपा के सर्वाधिक यानी दो दर्जन से अधिक चुनाव जीतने का रिकॉर्ड दर्ज हो चुका है, लेकिन क्या यह कह सकते हैं कि ये रिकॉर्ड चुनाव जीतने का श्रेय वास्तव में जेपी नड्डा को जाएगा? क्या वास्तव में उन्होंने ही यह रिकार्ड बनाया है? दरअसल अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी और यहां तक की अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए भी पार्टी इतने चुनाव कभी नहीं जीत पाई, लेकिन किस्मत का खेल देखिए कि जेपी नड्डा के नाम भाजपा के सर्वाधिक चुनाव जीतने का रिकॉर्ड तो दर्ज हो ही चुका है। इधर, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए गुजरात लॉबी यानि अमित शाह ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को कुछ नाम भेजे थे, जिनमें दक्षिण भारत के राज्यों से आने वाले भाजपा नेताओं के नाम भी शामिल थे। लेकिन उन नामों पर संघ ने अपनी सहमति नहीं दी है, जिससे एक बार फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टल गया है। लिहाजा अब कुछ हफ्तों के लिए भाजपा को अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए इंतजार और करना होगा।
(लेखक वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार हैं। सम्प्रति भास्कर से सम्बद्ध।)
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