शहर से गांव डगर तक की कहानी

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बढ़ती महंगाई के साथ अब शादियाँ भी महंगी यानी खर्चीली होती जा रही हैं।  रुपये-पैसे की नुमाइश उनके लिए तो मजबूरी नहीं,  जो रईस हैं, धनाड्य हैं. लेकिन उन लोगों के लिए आत्महत्या के विरुद्ध संघर्ष ही होता है, जिनकी आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर होती है।  सामाजिक रुतबा बनाए रखने की विवशता उन्हें क़र्ज़ के बोझ तले दबा देती है। रांची के मुसलमानों ने आज एक बड़ा निर्णय लिया है। जिसमें शहर के उलमा क़ाज़ी और प्रबुद्ध जनों की सहमति शामिल है। नाच गाना, ढोल-तमाशे और डीजे वाली महंगी शादियों का बहिष्कार किया जायेगा। दरअसल आम जनता हेल्पलाइन की पहल पर अंजुमन प्लाजा स्थित रहमानिया मुसाफिर ख़ाना में एक हंगामी मीटिंग हुई। जिसमें शहर के पढ़े-लिखे वर्ग ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। सामजिक कार्यकर्ताओं के अलावा क़ाज़ी और मौलाना भी शरीक हुए। बैठक की अध्यक्षता मौलाना तौफीक कादरी ने की जबकि संचालन वरिष्ठ पत्रकार हाजी फिरोज़ जिलानी ने किया।

ग़ैर शरई शादी में उलमा-क़ाज़ी निकाह नहीं पढ़ाएंगे

आम जनता हेल्पलाइन के अध्यक्ष एजाज गद्दी ने बताया कि मुस्लिम समाज में निकाह को मुश्किल और खर्चीला बना दिया गया है। जिस की वजह से गरीब घर की बेटियों का निकाह मुश्किल होता जा रहा है। आज हमारी शादियों में नाच, गाना, डीजे और बम पटाखे जैसी गैर शरई चीजें शामिल हो गयी हैं। इन्हीं बुराईयों से बचने और लोगों को बेदार करने साथ निकाह को आसान बनाने के मक़सद से बैठक रखी गयी थी.  जिसमें निर्णय लिया गया है कि ग़ैर शरई शादी में उलमा और क़ाज़ी निकाह नहीं पढ़ाएंगे। ऐसे तीन प्रस्ताव पारित हुए।

आम जनता हेल्पलाइन 11 बच्चियों का निकाह कराएगी 

बैठक में शहर के उलमा, क़ाज़ी, मुफ्ती, मौलाना, के साथ अंजुमन, सोसाइटी, तंजीम, पंचायत, क्लब आदि के पदाधिकारी शामिल हुए। अगली बैठक 29 जून को होगी। स्थान का चयन नहीं हुआ है बाद में एलान किया जाएगा। एजाज गद्दी ने बताया कि उनकी संस्था आम जनता हेल्पलाइन हर वर्ष अपने खर्च पर 11 गरीब और जरूरतमंद बच्चियों का निकाह कराएगी। बैठक में वक्ताओं ने जोर दिया कि मस्जिदों में हो निकाह, दहेज पर भी लगे रोक। निकाह आसान हो वलीमा आर्थिक हैसियत के हिसाब से करें। खर्चीली शादियों के कारण बच्चियों के निकाह में देरी हो रही है। इसके लिए हम सब जिम्मेदार हैं।

सार्थक निर्णय पर इन सबकी लगी मुहर 

मौके पर मुफ़्ती आसिफ़ मदनी, मौलाना असग़र मिस्बाही, पठान तंज़ीम के अध्यक्ष राजा अय्यूब खान, मौलाना तल्हा नदवी, मुफ़्ती अबु दाऊद कासमी, मुफ़्ती तल्हा नदवी, मौलाना जावेद नदवी, अंजुमन अध्यक्ष हाजी मुख्तार अहमद, सचिव डॉक्टर तारीक़, क़ाज़ी नसीरुद्दीन फैजी, क़ाज़ी मसूद फरीदी, हाफिज़ मिकाइल, एस अली, सैयद निहाल अहमद, नदीम खान, शकील, मुख्तार, इकबाल खान, नसीम गद्दी, डॉक्टर मौलाना हुजैफा, शमीम, लाडले खान, हाजी अब्दुर्रहमान, नुरुल होदा, सोहेल अख्तर, सरफराज सड्डू, अधिवक्ता अजहर खान, मोहम्मद शमशू, मेराज गद्दी, एमआईएम महताब आलम, बच्चा बाबू, संपा गद्दी, मोहम्मद इस्लाम, समेत सैंकड़ों लोग मौजूद थे। निर्णय पर इन सबकी मुहर लगी है।

 

 

 

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