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झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने आज झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अगुवा, पुरोधा ,पूर्व मुख्यमंत्री, राज्यसभा सांसद दिशुम गुरु शिबू सोरेन के अकास्मिक निधन से झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति बताया है.मोर्चा के संस्थापक प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दिशुम गुरु शिबू सोरेन मर नहीं सकते हैं, वे जिंदा हैं खेतों में खलिहानों में हमारे अरमानों में. उनके अरमानों को मंजिल तक पहुंचाने का दायित्व झारखंड के एक-एक आंदोलनकारी का है.शोषण मुक्त ,समता मूलक समाज तथा समृद्धशाली झारखंड- खुशहाल झारखण्डी के सपनों को साकार करना है.
15 नवंबर 2000 ईस्वी में सपनों को आकार देने में गुरु जी नेे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
पुष्कर महतो ने कहा कि दिशुम गुरु के रुप में झारखंड के अनमोल रत्नों में एक रत्न, विरासत, गोल्डन पैराडाइज को खो दिया है. झारखंड मुक्ति के संकल्प को 15 नवंबर 2000 ईस्वी में पूरा कर झारखंड के प्रत्येक जन के सपनों को आकार देने में गुरु जी नेे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. बतादें कि वर्ष 1995 में दिशुम गुरु शिबू सोरेन के साथ झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक प्रधान सचिव पुष्कर महतो एक कार्यक्रम के दौरान मौजूद थे. केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र सिंह कुशवाहा ने कहा कि दिशुम गुरु शिबू सोरेन सबके आदरणीय और पूजनीय रहे हैं उनके निधन से झारखंड के खालीपन को भरा नहीं जा सकता है.