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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) देवघर के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि एम्स में प्रवेश पाकर विद्यार्थी आज एक अच्छा डॉक्टर बन गए हैं. एक युवा डॉक्टर जो किसी के जीवन मे उजाला कर सकते हैं. प्राइमरी हेल्थ में भी नए डॉक्टर फोकस करें. राष्ट्रपति ने कहा कि यह खुशी की बात है कि एम्स ने पांच ट्राइबल विलेज को गोद लिया है लेकिन एम्स को अपना दायरा भी बढ़ाना चाहिए और कुछ अन्य गांवों को भी गोद लेना चाहिए.

राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासियों में एनीमिया और सर्वाइकल कैंसर की समस्या है, ऐसे में ट्राइबल विलेज को गोद लेने से इसमें कमी आएगी क्योंकि कहा भी गया है “हेल्थ इज वेल्थ”. समारोह को सूबे के राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी संबोधित किया. इस दौरान समारोह में एम्स देवघर के कार्यकारी निदेशक सह मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ. सौरभ वार्ष्णेय संस्थान के क्रमिक प्रगति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. इस मौके पर  राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी भी उपस्थित थे. 

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने एम्स, देवघर के प्रथम दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में राष्ट्रपति महोदया का देवघर में स्वागत करते हुए कहा कि श्रावणी मास की इस पुण्य बेला में बाबानगरी देवघर में उनका आगमन सम्पूर्ण राज्यवासियों के लिए हर्ष एवं उत्साह का विषय है.
देवघर केवल झारखंड ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष की आस्था का प्रमुख केंद्र है. ऐसे में राष्ट्रपति महोदया का आगमन इस अवसर को और भी ऐतिहासिक तथा स्मरणीय बना देता है.
राज्यपाल ने कहा कि यह केवल एक शैक्षणिक आयोजन नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के लिए एक नई सामाजिक जिम्मेदारी के आरंभ का क्षण है. चिकित्सा का मार्ग मात्र एक करियर का चयन नहीं है, बल्कि संवेदना, सेवा और नैतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है.
उन्होंने कहा कि एम्स, देवघर न केवल झारखंड, बल्कि बिहार और बंगाल जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए भी स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बन चुका है. उन्होंने इसे प्रधानमंत्री जी के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” की भावना से जुड़ा हुआ कदम बताया. राज्यपाल ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने श्वेत कोट को केवल वर्दी न समझें, बल्कि उसे विश्वास, करुणा और सेवा का प्रतीक मानें.
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