शहर से गांव डगर तक की कहानी

पल्लवी कुमारी

झारखंड के आदिवासी समाज में अचानक से राजनीतिक उबाल दिख रहा है. विधान सभा चुनाव में हेमंत सोरेन की अगुवाई में मिली अप्रत्याशित जीत तो इसका कारण नहीं. दरअसल झारखंड का उदय ही आदिवासियों की संस्कृति, परंपरा, इतिहास और उनके जीवन के संरक्षण के लिए ही हुआ. लेकिन 24 साल बीत गए, सता बदली, नेता बदले लेकिन नहीं बदली, तो वो है आदिवासी की सूरत और झारखंड की तस्वीर. ताजा मामला केवल पेसा कानून का ही नहीं राजधानी रांची से जुड़ा हुआ है. आज हम इस कहानी में इसे ही समझने की कोशिश करेंगे.

फिर उठा भीतरी-बाहरी का सवाल

होली के दिनों में अक्सर लड़ाई-झगड़े होते ही हैं, ये तो आम बात है. लेकिन होली के दिन नामकुम रेलवे स्टेशन खटाल के पास दो गुटों के बीच होली का रंग लगाने और नहीं लगाने को लेकर आपस में जो कहासुनी हुई. जिसने मार-पीट और फिर बड़े झगड़े का ऐसा रूप ले लिया कि एक युवक की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए. मृतक सोनू मुंडा जोरार बस्ती का रहने वाला था, जिसकी उम्र 40 साल थी. लड़ने वालों में एक आदिवासी पक्ष के लोग थे, तो दूसरी तरफ गैर-आदिवासी पक्ष के लोग जिसे आरजेडी का वोट बैंक भी कहा जाता है.  फिर क्या था, देखते-देखते हादसे का रंग राजनीतिक हो गया. घटना के बाद स्थानीय लोगों के साथ पूर्व पार्षद किरण सांगा , JLKM नेता देवेन्द्र कुमार महतो, पूर्व विधायक रामकुमार पाहन, BAP नेता प्रेम शाही मुंडा, बिरसा पाहन, भाजपा नेता आरती कुजूर,सुंदरी तिर्की, सोनल कच्छप के नेतृत्व में हज़ारों लोग सड़क पर उतर आये. रांची के पुरुलिया रोड में शव को लेकर तीन घंटों तक सड़क जाम कर दिया. लोगों का आरोप है कि पुलिस की मौजूदगी में इस घटना को अंजाम दिया गया था. पुलिस अगर संज्ञान लेती तो एसी घटना नहीं होती. आदिवासियों की मांग है कि खटाल हटाया जाए. उनका कहना है कि बाहर से आये लोग ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा किये हुए हैं. खटाल बना रखा है. आये दिन झगड़े-फसाद होते रहते हैं.

हाईकोर्ट ने दिया था खटाल हटाने का ऑडर

बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट ने 2006 में छोटे बड़े 800 खटाल शहर से हटाकर कहीं और शिफ्ट करने का निर्देश दिया था. प्रशासन ने कुछ खटाल हटाए भी थे. लेकिन उसके बाद इस पर अमल नहीं किया गया. बताया जा रहा है कि नामकुम रेलवे स्टेशन के पेट्रोल पंप के पास जोरार बस्ती और खटाल के लोगों के बीच गाड़ी की चाभी को लेकर झड़प हुई थी. वहीं खिजरी विधायक राजेश कच्छप,डीएसपी अमरनाथ पांडे और नामकुम अंचल पदाधिकारी कमल किशोर सिंह ने सड़क जाम कर रहे लोगों को समझने की कोशिश की लेकिन आक्रोशित लोगों ने किसी की बात नहीं सुनी. विधायक की अगुवाई में केस दर्ज कर लिया गया और अब तक 15 लोगों की गिरफ़्तारी भी हो चुकी है. इनमें अनिल यादव, कृष कुमार, रितेश कुमार, विशाल कुमार, रोहित कुमार, रोहन कुमार, सुनील राय, दीपक कुमार, रंजीत यादव, सुमीत कुमार, मीना देवी, राधा कुमारी, पूनम देवी, खुशी कुमारी, ममता देवी के नाम शामिल है.

सरना समिति के जमीन का मामला
दूसरी तरफ सिरमटोली सरना स्थल के समीप फ्लाईओवर का रैंप बनाने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. अप्रैल की पहली तारीख को सरहुल पर्व मनाया जाना है. रांची में आज बंद है। जगह-जगह प्रदर्शन हुए. खबर लिखे जाने तक हिंसा की सूचना अब तक कहीं से नहीं मिली है.  शांतिपूर्वक बंद के  हिमायती सड़कों पर उतरे. इनमें महिलाओं की संख्या अधिक देखने को मिली.  सोमवार को भी सरना स्थल के समीप रैंप बनाने के विरोध में विभिन्न संगठनों ने उग्र प्रदर्शन किया था . CM हेमंत सोरेन समेत पक्ष व विपक्ष के उन्नतीस आदिवासी विधायकों के अलावा रांची के सांसद व विधायक क्रमशः संजय सेठ और सीपी सिंह के पुतलों की शव यात्रा निकली गई. केंद्रीय सरना स्थल सिरम टोली बचाओ मोर्चा के बैनर तले एकजुट होकर सरना स्थल से अल्बर्ट एक्का चौक तक विरोध मार्च निकाला। इस दौरान सामाजिक अगुवा बाहा लिंडा ने सिर मुंडवाकर सभी प्रतीकात्मक शवों का अंतिम संस्कार किया। लोगों के हाथों में विरोध की तख्तियां भी देखी गई. हालाँकि अब आदिवासी संगठन भी अलग-अलग राग अलाप रहे हैं. आपस में धक्का-मुक्की, गली-गलौच और जान से मारने की धमकी तक की नौबत आ गयी। सदन में रांची विधायक सीपी सिंह के सवाल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आश्वस्त किया कि सीरम टोली विवाद का हल निकाल लिया जाएगा. लेकिन इसका कुछ भी असर आन्दोलनकारियों पर नहीं पड़ा. कल मशाल जुलुस तो आज बंद. कोई इसे राजनीति बता रहा है तो कोई अस्मिता की जंग। सवाल का जवाब आप ही ढूंढिए आखिर कौन है, जो संकट में भी रोटियां सेकना चाहता है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version