शहर से गांव डगर तक की कहानी

आतिफ़ रब्बानी 
ज़िंदगी तो सपना है कौन ‘राम’ अपना है
क्या किसी को दुख देना क्या किसी का ग़म करना।
-राम रियाज़
यह शेर मशहूर शायर राम रियाज़ का है। पानीपत में जन्मे इस शायर का असल नाम रियाज़ अहमद था। उर्दू के कई अदीबों और शायरों ने अपने ऐसे उपनाम रखे जो ज़ाहिरी तौर पर दूसरे मज़हब के लगते हैं। अब मीरा जी को ही लीजिए, उनका असल नाम सनाउल्ला डार था, लेकिन अपना उपनाम रख लिया ‘मीरा जी’।
हाल ही में, उर्दू को लेकर अनेक अवांछनीय राजनीतिक-सांप्रदायिक टिप्पणियाँ की गईं। ज़हर-अफ़्शानी करनेवाले या तो उर्दू भाषा एवं संस्कृति के उद्भव और विकास से अपरिचित हैं, या हद दर्जे के कुटिल हैं। उर्दू उत्तर-भारतीय क्षेत्र में पैदा हुई, विकसित हुई, फली-फूली और आमजन की भाषा बनी। इसमें जमुना की मोहब्बत-ओ-अक़ीदत पैवस्त है, गंगा की रूहानियत जज़्ब है, और दोआबे की ज़रख़ेज़ी बसी हुई है। यह सबकी भाषा है सबकी तहज़ीब है। न इसपर किसी धर्म का अधिपत्य है (वैसे भी भाषाओं का संबंध भूगोल से होता है न कि धर्म से), और न ही किसी पंथ का। यह हमारी साझी संस्कृति और साक्षी विरासत की वाहक।
गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान राम को “गरीब निवाज़” कहा। राम निर्धनों के उद्धारक हैं। तुलसी का राम राज्य वह है जहाँ लोकहित सर्वोपरि है।
मणि मानिक महंगे किये, सहजे तृण जल नाज।
तुलसी सोई जानिए, राम गरीब निवाज।।
तो उर्दू के महान शायर अल्लामा इक़बाल—जिन्हें शायरे-मशरिक़ का जाता है—ने भगवान राम को ‘इमाम’ कहा है। उन्होंने श्री राम को दीन-दुनिया में यकता बताया है। राम सौहार्द और संयम के पैयाम्बर हैं। मर्यादा पुरषोत्तम है। चराग़े-हिदायत हैं। इक़बाल कहते हैं–
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,
अहले-नज़र समझते हैं इसको इमामे-हिंद।
आज राम नवमी है। आईए! हम आज संकल्प लें कि गोस्वामी तुलसीदास के “गरीब निवाज” राम को अपने अंदर जगाएँ। अपने जीवन में सौहार्द, संयम, प्रेम, करुणा, परहित और पुरुषार्थ को जगह देंगे। नफ़रत और घृणा को निकाल फेंकेंगे। दुखियों, ग़रीबों और वंचितों के लिए जिएंगे।
हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द-मंदों से ज़ईफ़ों से मोहब्बत करना।
पेंटिंग: मशहूर चित्रकार अब्दुर-रहमान चुग़ताई द्वारा बनाई गई पेंटिंग ‘सीता स्वयंबर में राम’ (फोटो साभार : सय्यद आमिर अब्बास साहब)
टाइटल चित्र : रांची की रामनवमीं, फोटो खींचक संजय कृष्ण 
(लेखक बाबा साहब भीम राव आंबेडकर विश्विद्यालय, मुजफ्फरपुर में सहायक प्राध्यापक हैं.) 
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