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जातिगत जनगणना के विरोध में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार हालाँकि नहीं है. लेकिन हेमंत की पार्टी झामुमो अलग ही सुर में है. मोर्चा का कहना है कि पहले मोदी सरकार आदिवासियों को सरना कोड दे, यानी जनगणना के कॉलम में उसे जगह दी जाए. उसके बाद जातिगत जनगणना होने दी जायेगी. इसको लेकर झामुमो आन्दोलन के मूड में है. लेकिन देश के वर्तमान हालात को देखते हुए फिलहाल पार्टी ने आन्दोलन को स्थगित कर दिया है. जबकि आज यानी 9 मई को ही राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की योजना बनी थी. इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पाण्डेय ने बताया कि देश की सीमाओं पर उत्पन्न स्थिति को देखते हुए पार्टी ने विरोध प्रदर्शन को स्थगित कर दिया है. उन्होंने कहा कि वीर भूमि झारखंड, अपनी पूरी ताकत के साथ देश के बहादुर जवानों के साथ खड़ा है. सीमा पार से संचालित आतंकवाद को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

सरना धर्म के लोग अपने आप को नहीं मानते हैं हिन्दू धर्म का हिस्सा 

बता दें कि झामुमो ने पहले एलान किया था कि जब तक सरना आदिवासी धर्मकोड को लागू नहीं किया जाएगा, तब तक झारखंड में जनगणना की इजाजत नहीं दी जाएगी. झारखंड विधानसभा ने 11 नवंबर 2020 को एक विशेष सत्र में सर्वसम्मति से ‘सरना आदिवासी धर्म कोड’ का प्रस्ताव पारित किया गया था. सरना धर्म कोड के प्रस्ताव का उदेश्य 2021 की जनगणना में सरना और आदिवासी धर्म को मानने वालों को एक अलग धर्म की पहचान दिलानी थी. उनका कहना है कि सरना धर्म के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं. वे अपने आप को हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं मानते हैं. प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन केंद्र की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जानकारी दें कि आंदोलन को लेकर दिए गए निर्देश को सभी पार्टियों के जिला अध्यक्षों, सचिव और केंद्र समितियों के पदाधिकारियों से वापस ले लिया गया है.

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