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झारखंड शराब घोटाले की ACB की जांच में कई मामले सामने आ रहे हैं जांच में यह बात सामने आई है कि इस घोटाले में उत्पाद विभाग के अधिकारियों और कर्मियों ने निजी कंपनियों के साथ मिलकर इस पूरे घोटाले की साजिस  रची थी. ACB की जांच में यह सामने आया है कि तत्कालीन उत्पाद सचिव एवं JSBCL के प्रबंध निदेशक रहे IAS विनय कुमार चौबे की भूमिका इस पूरे घोटाले में संदिग्ध रही रही है. नीति निर्माण से लेकर ठेका के आवंटन, वित्तीय नियमन और निगरानी तक पर विनय कुमार चौबे की देख रेख में था. उनके कार्यकाल में  MGR की समीक्षा  नहीं हुई.  इस पूरे मामले  यह स्पष्ट है कि विभागीय अधिकारियों और निजी कंपनियों के बीच गहरी सांठगांठ रही है. यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचाने के लिए रची गई एक गहरी साजिश है, जिसकी जांच अब तेजी से आगे बढ़ रही है. जांच एजेंसियां अब जांच  जाकर दोषियों की जवाबदेही तय करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं. झारखंड के इस बहुचर्चित घोटाले का सच सामने आने पर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में बेचैनी मची हुई  है.

 

अधिकारियों और निजी कंपनियों ने साथ मिलकर  रची थी साजिश

शराब घोटाले में गिरफ्तार IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को ACB  28 जून से पहले रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है. गिरफ्तारी के बाद विनय कुमार चौबे की तबीयत खराब होने पर रिम्स में इलाज चल रहा है, जिस कारण ACB अभी पूछताछ करना सही नहीं समझ रही है.  पुराने कानून में गिरफ्तारी के 15 दिन के भीतर ही पुलिस रिमांड पर लेकर जांच अधिकारी को पूछताछ की अनुमति थी. नए कानून में यह अवधि 40 दिन कर दी गई है. जबकि 10 साल से अधिक सजा वालों के मामले में यह अवधि 15 दिन से बढ़ाकर 60 दिन की गई है.  झारखंड शराब घोटाले की ACB की जांच में कई  मामले सामने आ रहे हैं जांच में यह बात सामने आई है कि इस घोटाले में उत्पाद विभाग के अधिकारियों और निजी कंपनियों ने साथ मिलकर इस पूरे घोटाले की साजिश रची थी. ACB की जांच में यह सामने आया है कि तत्कालीन उत्पाद सचिव एवं JSBCL के प्रबंध निदेशक रहे IAS विनय कुमार चौबे की भूमिका इस पूरे घोटाले में संदिग्ध रही रही है. नीति निर्माण से लेकर ठेका के आवंटन, वित्तीय नियमन और निगरानी तक पर विनय कुमार चौबे की देख रेख में था. उनके कार्यकाल में  MGR की समीक्षा  नहीं हुई.  इस पूरे मामले  यह स्पष्ट है कि विभागीय अधिकारियों और निजी कंपनियों के बीच गहरी सांठगांठ रही है. यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचाने के लिए रची गई एक गहरी साजिश है, जिसकी जांच अब तेजी से आगे बढ़ रही है. झारखंड के इस बहुचर्चित घोटाले का सच सामने आने पर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में बेचैनी मची हुई  है.

 

इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम गठित

 

विनय चौबे की जांच और इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक मेडिकल टीम गठित की गई है. इस टीम में मेडिसिन विभाग से डॉ ऋषि तुहिन गुड़िया और डॉ अजीत डुंगडुंग, नेफ्रोलॉजी विभाग से डॉ प्रज्ञा पंत तथा कार्डियोलॉजी विभाग से डॉ मृणाल कुंज शामिल हैं. रिम्स में भर्ती IAS से मिलने को विनय चौबे की पत्नी पहुंची थी. उन्हें जेल मैनुअल का हवाला देकर मिलने से रोका गया है.  दूसरे दिन  भी वो मिलने पहुंची थी, लेकिन उन्हें मिलने से रोका दिया गया .

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