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झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. रांची की एमपी-एमएलए कोर्ट ने लगभग पांच साल पुराने एक मामले में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की मांग वाली उनकी एक याचिका खारिज कर दी है. मंत्री इरफान अंसारी की ओर से 23 मई को यह याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर 5 जुलाई को दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया गया था.

याचिका खारिज होने के बाद अब स्वास्थ्य मंत्री को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होना होगा. शिकायतकर्ता राफिया नाज के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार वर्मा ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मंत्री का मुख्यालय राजधानी रांची में है, जो अदालत से बेहद निकट है, ऐसे में उपस्थिति से छूट की कोई आवश्यकता नहीं बनती. मामला भाजपा नेता राफिया नाज द्वारा दायर मानहानि केस से जुड़ा हुआ है.

दरअसल भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज ने डॉ. इरफान अंसारी के खिलाफ एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और जानबूझकर उनका अपमान करने का आरोप लगाते हुए 4 अगस्त 2020 में शिकायत दर्ज कराई थी. राफिया नाज ने यह शिकायत डॉ. इरफान अंसारी द्वारा एक निजी समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार में उनके पहनावे को लेकर की गई टिप्पणी के आधार पर की थी. 

कोर्ट से न्याय मिलने का पूरा भरोसा जताते हुए राफिया नाज ने कहा कि अब इस मामले में आगे सुनवाई होगी, जिसमें इरफान अंसारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा. बता दें कि कोर्ट ने पीड़िता राफिया नाज की आपराधिक मानहानि शिकायत पर संज्ञान लेते हुए डॉ. इरफान अंसारी को कोर्ट में पेश होने के लिए समन जारी किया था, जिसके बाद इरफान अंसारी ने सशरीर पेशी से छूट के लिए याचिका दायर की थी. मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी.

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