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पगड़ी का अपमान, नहीं सहेगा भारतीय किसान… भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के समर्थन में हुई महापंचायत में आक्रोशित किसानों ने संघ-भाजपा के विरोध और किसानों के समर्थन में नारे लगाये. दरअसल दो मई को पहलगाम घटना के विरोध में यूपी के मुजफ्फरनगर टाउन हॉल में जन आक्रोश रैली हुई थी. जिसमें राकेश टिकैत से धक्का-मुक्की की गई थी. इस दौरान उनके सिर से पगड़ी गिर गई थी. राकेश टिकैत वापस जाओ के भी नारे लगाए गए थे. इसके विरोध में शनिवार को मुजफ्फरनगर में  के जीआईसी मैदान में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया था. जिसमें सपा सांसद इक़रा हसन. मुजफ्फरनगर के सांसद हरेंद्र मलिक, बुढ़ाना के रालोद विधायक राजपाल बालियान, खतौली के रालोद विधायक मदन भैया, सरधना के सपा विधायक अतुल प्रधान, जिला बार संघ और सपा के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद त्यागी समेत कई दलों के प्रमुख नेता शरीक हुए. बाद में यहां से पैदल मार्च करते हुए किसान टाउन हॉल मैदान पहुंचे और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा.
क्या बोले भाकियू के टिकैत बंधु, इक़रा हसन भी जमकर गरजीं 
किसान महापंचायत में पहुंचे किसान बहुत गुस्से में थे. लेकिन भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बहुत ही संयत भाषा में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा है हम किसी के खिलाफ मुकदमा नहीं चाहते पर जो कल हुआ है भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति ना हो और यदि भविष्य में इस तरह की घटना होगी तो स्वीकार नहीं की जाएगी. टिकैत ने कहा कि उन्होंने शेर के मुंह में हाथ दे दिया है. वहीँ राकेश टिकैत ने पूरे मामले को पूर्व नियोजित साजिश बताया. माहौल को खराब किया. कुछ लोगों को ट्रेनिंग देकर वहां खड़ा किया गया था. शहीदों के नाम पर राजनीति की जा रही है. कैराना से सपा सांसद सपा सांसद इक़रा हसन ने कहा कि महापंचायत में बाबा नरेश टिकैत के आह्वान पर  जमा हजारों किसानों की भीड़ हमारी ताकत और एकता है। इस ताकत को अनुशासित रूप से बनाकर हमे चलना है। कहा कि जिन्होंने राकेश टिकैत के साथ निंदनीय काम को अंजाम दिया है वह भी किसी आतंकी से कम नहीं है। महेंद्र सिंह टिकैत हमारे पूजनीय है, उनके लिए हम सर भी कटा देंगे। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा भी की।
ग्रामीण समाज में पगड़ी सम्मान और सवाभिमान का प्रतीक
वरिष्ठ पत्रकार केपी मालिक का कहना है कि खाप पंचायतों और ग्रामीण समाज में पगड़ी वहां के बाशिंदों के सम्मान और सवाभिमान का प्रतीक होती है, हर जाति में पगड़ी का विशेष महत्व है, इस पगड़ी की शान में अगर कोई गुस्ताखी करता है तो पगड़ी की शान के लिए वह उसकी जान ले भी सकता है और अपनी जान दे भी सकता है। दरअसल मुफफ्फरनगर में शुक्रवार को आयोजित जन आक्रोश यात्रा के दौरान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के साथ जों साथ अभद्रता हुई वह घोर निंदनीय है। दुर्भाग्य देखिए कि जों विरोध प्रदर्शन राष्ट्र की एकजुटता और पाकिस्तान का विरोध करने का था, उसको कुछ तुच्छ मानसिकता वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने सामाजिक विभेद का अखाड़ा बना डाला? दरअसल देश में पिछले कुछ सालों में यह शगल बन गया है कि एक विशेष सियासी दल और उससे जुड़े नेता ही जिसे चाहेंगे उसको ही देशभक्ति का तमगा देंगे और वही राष्ट्रभक्त माना जायेगा।
टिकैत परिवार लंबे समय से किसानों की लड़ाई लड़ता रहा
केपी मालिक कहते हैं कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि टिकैत परिवार लंबे समय से किसानों की लड़ाई लड़ता रहा है। किसानों में उनका सम्मान आज भी बरकरार है। हालांकि टिकैत बंधुओं पर गाहे बगाहे विवादित बयान देने के आरोप प्रत्यारोप भी लगाते रहे हैं, लेकिन आज भी किसानों में उनका दबदबा कायम है। उदाहरण के तौर पर अगर कही आज भी पांच हज़ार किसान धरना दे रहे हो और उसमें टिकैत बंधु उसमें आ जाए, तो किसानों की ताकत दो से तीन गुना बढ़ जाती है। दूसरी बात यह है कि चौधरी चरण सिंह का सियासी परिवार और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का किसान परिवार के रूप में आपसी मदभेदो में भी रहें हैं। लेकिन जब चरण सिंह परिवार को टिकैत परिवार की जरूरत रही तो वह सीना ताने उनके साथ खड़ा रहा और जब टिकट परिवार को चरण सिंह परिवार की आवश्यकता पड़ी, तो चौ. अज़ीत सिंह ने भी आगे बढ़ाकर उस फर्ज को निभाया। उदाहरण के रूप में चाहे चौधरी चरण सिंह की राजघाट पर समाधि का मामला हो या सिसौली में महेंद्र सिंह टिकैत पर मायावती के गिरफ्तारी के आदेश के समय चौधरी अजीत सिंह का सिसौली पहुंचना हो। लेकिन आज राकेश टिकैत पर जिस प्रकार का सामाजिक हमला हुआ है ऐसे में रालोद मुखिया जयंत चौधरी का चुप्पी साधे रखना, सवाल खड़ा कर रहा है।
राकेश टिकैत के अपमान के विरोध में किसान महापंचायत आयोजित हुई
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