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झारखंड में कथित चौर पर हुए 38 करोड़ के शराब घोटाला मामले में बीते 21 मई से जेल में बंद निलंबित वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व उत्पाद विभाग के पूर्व सचिव विनय कुमार चौबे सहित सभी अन्य आरोपिताों पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी ने 90 दिन पूरे होने के बावजूद चार्जशीट दाखिल नहीं की. सोमवार को विनय कुमार चौबे की गिरफ्तारी के 90 दिन पूरे हो गए. 

एसीबी की ओर से रांची स्थित एसीबी की विशेष अदालत से चार्जशीट के लिए अतिरिक्त समय भी नहीं मांगा गया है. इस मामले में हालांकि एसीबी का कोई आधिकारिक बयान भी सामने नहीं आया है. ऐसे में चार्जशीट दाखिल नहीं करने का लाभ निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे को मिल सकता है और उन्हें एसीबी कोर्ट से जमानत मिल सकती है. 

किसी भी गिरफ्तार आरोपित के विरुद्ध पुलिस तभी चार्जशीट नहीं करती है, जब उसके पास उस आरोपित के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य न हों. ऐसा तभी होता है, जब जांच एजेंसी के पास गिरफ्तार आरोपित के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य नहीं होते हैं।  हो सकता है, एसीबी गिरफ्तारी के बाद उनके विरुद्ध साक्ष्य जुटाने में सफल नहीं हो सकी हो, जिसके चलते ससमय चार्जशीट नहीं कर सकी. 

नहीं मिली अभियोजन स्वीकृति 

हालांकि, एसीबी के अधिकारिक सूत्रों की मानें तो जांच एजेंसी ने मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग से निलंबित आइएएस विनय कुमार चौबे के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति के लिए अनुमति मांगी थी. अनुमति नहीं मिलने के चलते उनके विरुद्ध चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी. अमूमन अभियोजन की स्वीकृति चार्जशीट के बाद भी मांगी जाती है. एसीबी ने चार्जशीट के पूर्व अभियोजन स्वीकृति की मांग क्यों की, यह भी गिरफ्तारी व जांच की प्रक्रिया पर पर संदेह पैदा करता है.

मामले में 11 की हो चुकी है गिरफ्तारी

कथित शराब घोटाला मामले में एसीबी ने अब तक 11 आरोपितों को गिरफ्तार किया है. इनमें पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, पूर्व संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार, पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश शामिल हैं.

इसके अलावा प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह, छत्तीसगढ़ का शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया, मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी के प्रबंध निदेशक विधु गुप्ता, छत्तीसगढ़ की शराब आपूर्ति कंपनी श्रीओम साईं ब्रिवरीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक अतुल कुमार सिंह व मुकेश मनचंदा तथा मैनपावर आपूर्ति कंपनी सुमित फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित प्रभाकर भी शामिल हैं.

इनमें तत्कालीन संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह को छोड़कर अन्य सभी आरोपित रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं. गजेंद्र सिंह वर्तमान में जमानत पर जेल से बाहर हैं. 

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