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विधान सभा चुनाव के समय ही यह क़यास राजनीतिक पंडित लगा रहे थे कि ताला मरांडी झामुमो का दामन थाम सकते हैं। क्योंकि तब झामुमो के तत्कालीन विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। संकट ताला के सम्मुख था कि भाजपा उन्हें विधानसभा का टिकट देगी या नहीं। क्यों जब राजमहल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा बने बोरियो में पहली बार 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ताला मरांडी को मैदान में उतारा था और विजयी हासिल कर वो ही यहाँ के पहले विधायक चुने गए थे। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता लोबिन हेम्ब्रम को हराया था। और इस बार के चुनाव में उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दी तो क़यास को बल मिला और  भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार किये जाते रहे ताला ने अंतत: पार्टी को अलविदा कह दिया। भोगनाडीह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में झामुमो की सदस्यता ली। CM ने पार्टी का पटका पहनाकर उनका स्वागत किया। आम शब्दों में कहें तो BJP के ताला अब JMM में हुए  LOCK लेकिन 44 सालों बाद ये ख़्याल क्यों आया? चलिए आगे चर्चा करते हैं।
बाबूलाल को भेजे इस्तीफा में बताया कारण 
झामुमो का दामन थामने से पहले ताला मरांडी ने शुक्रवार सुबह भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भेजे इस्तीफा में वजह व्यक्तिगत और वैचारिक दोनों बताई है। उन्होंने पत्र में लिखा है -मैं भाजपा का एक समर्पित सदस्य रहा हूं। पार्टी द्वारा दिए गए अवसरों के लिए मैं आभार प्रकट करता हूं। वर्तमान परिस्थितियों, व्यक्तिगत कारणों और वैचारिक मतभेदों के चलते मैंने पार्टी की प्राथमिकत सदस्यता तथा सभी पदों से त्यागपत्र देने का निर्णय लिया है। मेरा यह निर्णय गहन विचार विमर्श के बाद लिया गया है। इसमें किसी प्रकार की दुर्भावना नहीं है।
44 वर्षों के बाद याद आया Tala Marandi को अपना घर -झामुमो 
63 वर्षीय ताला मरांडी का लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है। 1989-90 के आसपास उन्होंने सियासी पारी झामुमो से ही शुरू की थी। कुछ सालों बाद उन्हें कांग्रेस रास आने लगी और झामुमो त्याग दिया। 1995 व 2000 में विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन पराजय नसीब हुई। यहाँ भी मन नहीं रमा और भाजपा में शामिल हो गए। पहले ही बताया कि 2005 में बोरियो से भाजपा के टिकट पर विधायक बने। 2009 में हालाँकि सीट बरक़रार नहीं रख सके, जबकि  2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर फिर चुनाव जीत गए। 2019 के चुनाव में भाजपा छोड़ आजसू के टिकट पर चुनाव लड़ना भाया नहीं। चुनावी पराजय के बाद पुन: भाजपा में आ गए। और लगभग 44 सालों के बाद ताला की घर वापसी हुई यानी भाजपा छोड़ कर झामुमो की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
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