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झारखंड में सरना धर्म कोड के मुद्दे पर सत्ताधारी दल झामुमो और कांग्रेस व मुख्य विपक्षी दल भाजपा के बीच बयानबाजी तेज होती जा रही है. झामुमो ने 27 मई को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का एलान किया है तो वहीं कांग्रेस पार्टी 26 मई को राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन करेगी. इस मुद्दे पर मंगलवार को भाजपा ने जेएमएम व कांग्रेस पर पलटवार किया. भाजपा द्वारा सरना धर्म कोड के मुद्दे पर झामुमो पर लगाए गए आरोपों को लेकर जेएमएम ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा को आदिवासियों के हितों से कोई सरोकार नहीं है, वह सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस मुद्दे को उछाल रही है. उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड आदिवासी अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान का सवाल है, जिसे लेकर झामुमो शुरू से गंभीर रहा है. भाजपा ने हमेशा आदिवासियों की मांगों को दरकिनार किया और उनके अधिकारों को कुचलने का प्रयास किया है.

जेएमएम प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा की सरकार ने न तो 2014 से पहले और न ही बाद में कभी ईमानदारी से सरना धर्म कोड के समर्थन में कोई पहल की, उल्टे उनकी सरकारों ने वनाधिकार कानून और स्थानीय नीति जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर आदिवासियों के खिलाफ कार्य किया है. सरना धर्म कोड की मांग कोई नई नहीं है, बल्कि यह वर्षों पुरानी सामाजिक मांग है, जिसे भाजपा अब राजनीति का मुद्दा बना रही है.

उन्होंने भाजपा के बयान को हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि “जो पार्टी आदिवासियों की ज़मीन छीनने के लिए कॉर्पोरेटों को सौंपना चाहती है, वह आज उनके नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रही है. भाजपा को जवाब देना चाहिए कि उनकी सरकार ने इतने वर्षों में इस कोड को लागू क्यों नहीं किया. केंद्र में 10 साल से ज्यादा समय तक सत्ता में रहते हुए भी भाजपा ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी,

झामुमो महासचिव ने स्पष्ट किया कि हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली सरकार सरना धर्म कोड को लेकर गंभीर है और इसे जल्द से जल्द लागू करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बना रही है. उन्होंने भाजपा से सवाल किया कि क्या वह संसद में इस कोड के समर्थन में प्रस्ताव लाएगी या फिर सिर्फ जनभावनाओं को भड़काने का काम करेगी. उन्होंने कहा कि जनता अब भाजपा की चालों को समझ चुकी है और आगामी चुनाव में इसका करारा जवाब देगी.

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