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झारखंड के पलामू टाईगर रिजर्व को अधुनातन वन जीवन बनाने के लिए कोर एरिया के 20 गांवों को अन्यत्र बसाने की प्रक्रिया प्रबंधन ने शुरू किया है. पहले चरण में जनार गांव के आबादी को निकटवर्ती पोलपोल में आपसी जन सहयोग एवं समझदारी से कुल 22 घरों के 160 लोगों को स्थानांतरित कर दिया गया है. इसी तरह लातू और कुजरुम गांवों के 50 घरों के लोगों को बाहर विस्थापित कर उन्हें आजीविका अर्जित करने के लिए साधन उपलब्ध कराया गया है. कुल कोर एरिया में आठ हजार की मानव जनसंख्या है. इस क्षेत्र में 544 वर्ग किलोमीटर फैला है.

यह जानकारी सोमवार को पलामू टाईगर रिजर्व के निदेशक ने एस आर नटेश ग्लोब टाईगर डे के पूर्व मेदिनीनगर में संवाददाता सम्मेलन में देते हुए बताया कि “रिजर्व का क्षेत्र 1150 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है, जो कोर और बफर इलाके में विभाजित है.”

उन्होंने बताया कि ” कल बेतला में पीटीआर प्रबंधन की तरफ से ग्लोबल टाईगर डे मनाया जाएगा, जिसमें रिजर्व को वन्य जीवन के सहज, सरल एवं आकर्षक बनाने की कोशिश होगी.”

नटेश ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि ” यह रिजर्व देश के उन 9 अभयारण्यों में से एक है, जिसकी शुरुआत एक साथ 1974 में हुई थी. फिलहाल रिजर्व क्षेत्र में 6 बाघों का मूवमेंट है, जिसमें एक टाईगर का यहां आवास है.” ग्रास लैंड कुल जगह के एक फीसदी है, इसे विस्तृत करने की कोशिश है.

उन्होंने बताया कि “थर्ड रेलवे लाइन का मामला सरकार के पास विचाराधीन है, छिपादोहर इलाके के वन्यजीवों को कोर एरिया में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें 11 हजार किलोमीटर में जीव-जंतु विस्थापित किए जाने हैं.”

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