शहर से गांव डगर तक की कहानी

जीटी रोड लाइव डेस्क 

सत्तर के दशक में एक फिल्म आई थी सारा आकाश. सहज किन्तु प्रभावी. केंद्र में मध्यवर्गीय परिवार था. उसके ताने-बाने थे. और समानांतर एक प्रेम कहानी भी. यह फिल्म हिंदी के ख्यात लेखक राजेन्द्र यादव के उपन्यास ‘सारा आकाश’ पर आधारित थी. जिसे परदे पर साकार किया था बासु चटर्जी के कामयाब निर्देशन ने. जबकि नायक के किरदार को जीवंत किया था राकेश पाण्डेय ने. सबसे पहले राजेन्द्र यादव (28 अगस्त 1929 – 28 अक्टूबर 2013) ने बिदाई ली. उसके बाद बासु चटर्जी (10 जनवरी 1927–4 जून 2020) बिछुड़े. और आज राकेश पाण्डेय ने भी हमेशा के लिए आँखें बंद कर लीं. मुंबई जुहू के आरोग्यनिधि अस्पताल में उन्हें भरती कराया गया था, जहाँ सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर उनका निधन हो गया. इस प्रकार राकेश पाण्डेय के बिछुड़ने के साथ ‘सारा आकाश’ वाली तिकड़ी का अंत हो गया.

हिंदी, भोजपुरी फ़िल्म के अलावा सीरियल्स में भी बिखेरा जलवा 

हिंदी और भोजपुरी सिनेमा के जाने-माने अभिनेता राकेश पांडेय की उम्र 77 साल की थी. उनकी मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया जा रहा है. अंतिम संस्कार शास्त्री नगर श्मशान घाट पर संपन्न हुआ. क्लासिक फ़िल्म ‘सारा आकाश’ के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाज़ा गया था. उन्होंने ‘मेरा रक्षक’, ‘यही है जिंदगी’, ‘वो मैं नहीं’, ‘दो रहा’ और ‘ईश्वर’ जैसी हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय से चार चाँद लगाए, तो  किया. ‘बलम परदेसिया’ और ‘भैया दूज’ जैसी भोजपुरी फ़िल्में उनकी एक्टिंग के बल पर सुपर-डुपर हुईं. देवदास, दिल चाहता है, लक्ष्य और ब्लैक जैसी फ़िल्में भी उनके योगदान से अछूती नहीं रहीं. ‘छोटी बहू’, ‘देहलीज’ और ‘भारत एक खोज’ जैसे टीवी सीरियल में भी उन्होंने काम किया है. हाल के वर्षों में, वे हुड़दंग जैसी फिल्म में भी दिखलाई पड़े थे. 

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