जीटी रोड लाइव डेस्क
मुंबई आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा अब भारत के शिकंजे में है। इस पाकिस्तानी आतंकी ने विदेशों में जमकर अय्याशी की। लेकिन बिल्ली कब तक खैर मनाती। भारतीय सुरक्षा दस्ते ने आखिर उसे धर दबोचा। यूएस ने कड़ी सुरक्षा के बीच कैलिफोर्नियां में राणा को भारतीय अफसरोंं को सौंपा था। कड़ी सुरक्षा के बीच अमेरिका से उसे दिल्ली लाया गया। गुरुवार शाम 6.22 बजे उसकी फ्लाइट पालम एयरपोर्ट पर उतरी। जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं सवाल भी उठ रहे हैं। क्रेडिट लेने की भी होड़ मची हुई है. पूरे घटनाक्रम पर पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार पुष्प रंजन का एनाटिकल राइट अप।
तहव्वुर आ तो गया. लेकिन, हेडली को लाने की हिम्मत कब
मुंबई हमले का दूसरा खिलाड़ी, डेविड हेडली के बारे में कोई जानकारी शेयर नहीं की जाती। वह सजा-ए-मौत या भारत प्रत्यर्पण से इसलिए बचा, क्योंकि उसने अमेरिकी सरकार के साथ सहयोग किया था। कायदे से उसका भी प्रत्यर्पण होना चाहिए। अमेरिका ने हेडली को भारत प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसने यूएस एजेंसियों को महत्वपूर्ण जानकारी दी थी। डेविड कोलमैन हेडली का असली नाम ‘दाऊद सईद गिलानी’ है। वह तहव्वुर राणा का बचपन का दोस्त है। उसका बाप पाकिस्तानी, और मां अमेरिकी मूल की है। 30 जून 1960 में अमेरिका में जन्मा हेडली, और राणा कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल में पढ़ाई कर रहे थे। दोनों के बीच दोस्ती इतनी गहरी थी, कि तहव्वुर राणा के बच्चे हेडली को “मोहक चाचा” कहकर पुकारते थे।
फ़िल्मकार महेश भट्ट का अज़ीज़ रह चुका है हेडली
क्या हेडली के प्रत्यर्पण से बॉलीवुड में भूचाल आने वाला था? क्या आप जानते हैं, कि हेडली, फ़िल्मकार महेश भट्ट के बेटे, और एक्स ‘बिग बॉस’ कंटेस्टेंट ‘राहुल भट्ट’ का अज़ीज़ रह चुका है? दोनों के बीच इतनी अच्छी दोस्ती थी, कि राहुल हेडली में अपने पिता की छवि देखते थे। जब इनके कनेक्शन का पर्दाफाश हुआ, इस काण्ड को लीपपोत कर बराबर कर दिया गया। मोदी के मुखर आलोचक रहे फ़िल्मकार महेश भट्ट ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ शांति वार्ता करने के लिए अचानक उनकी प्रशंसा करनी शुरू की। 5 जुलाई 2014 को महेश भट्ट ने बयान दिया कि वह कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का समर्थन करते हैं। हेडली संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था, आतंकी हाफिज सईद के साथ हेडली की यारी थी। डेविड हेडली अभी अमेरिका की एक जेल में अपनी सजा काट रहा है। उसे 24 जनवरी 2013 को शिकागो की एक अमेरिकी अदालत ने 35 साल की सजा सुनाई थी, जो आतंक से जुड़े 12 मामलों में सुनाई गई है. इनमें मुंबई हमले और डेनमार्क में एक न्यूजपेपर पर प्रस्तावित हमले की साजिश शामिल था। सबके बावजूद अमेरिका ने तय कर लिया था, कि हेडली को भारत के हवाले नहीं करना है. या फिर, भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान कुछ और खेल, खेलने में लग गया है?
तहव्वुर राणा को लाने का पहला प्रयास 2009 में हुआ था
तहव्वुर राणा को भारत लाने का अकेला क्रेडिट मोदी सरकार को नहीं जाता है। यूपीए ने नवंबर 2009 में इसकी शुरुआत की थी। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में सीरियलआतंकी हमले के बाद तत्कालीन सरकार ने क्या किया था? 30 नवम्बर 2008 से 31 जुलाई 2012 तक पी. चिदंबरम देश के गृहमंत्री थे। उन्होंने उस टाइम लाइन की जानकारी दी- “शुरुआत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा नवंबर 2009 में दिल्ली में अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली, कनाडाई नागरिक राणा और साजिश में शामिल होने के आरोपी अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने से हुई।” पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने कहा, “एफबीआई ने 2009 में कोपेनहेगन में लश्कर-ए-तैयबा की विफल साजिश के फॉलो-अप में शिकागो में तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया था। हालांकि, जून 2011 में 26/11 हमले में प्रत्यक्ष संलिप्तता के आरोप से राणा को अमेरिकी अदालत ने बरी कर दिया था, लेकिन उसे आतंकवाद से संबंधित अन्य अपराधों में दोषी ठहराया गया और 14 साल जेल की सजा सुनाई गई।” उन दिनों यूपीए सरकार ने सार्वजनिक रूप से उसके बरी होने पर अपनी निराशा व्यक्त की, और कूटनीतिक दबाव बनाए रखा। आपसी कानूनी सहायता संधि के तहत एनआईए की तीन सदस्यीय टीम ने हेडली से अमेरिका में पूछताछ की। चिदंबरम बताते हैं, “अमेरिकी सरकार ने भारत को महत्वपूर्ण सबूत सौंपे, जो दिसंबर 2011 में राणा सहित नौ आरोपियों के खिलाफ दायर एनआईए की चार्जशीट का हिस्सा बन गए।”
राणा को भारत को प्रत्यर्पित किया जाएगा -ट्रम्प ने फरवरी में की थी घोषणा
दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किए, और फरार आरोपियों के लिए इंटरपोल रेड नोटिस सुरक्षित किए गए। पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, “यह कोई मीडिया स्टंट नहीं था, बल्कि शांत, दृढ़ कानूनी कूटनीति थी। 2012 में, यूपीए सरकार ने तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और अंडर सेक्रेटरी वेंडी शेरमेन के साथ हेडली और राणा के प्रत्यर्पण का मामला उठाया था।” चिदंबरम बताते हैं, “जनवरी 2013 तक, हेडली को 35 साल की सजा सुनाई गई, और उसी के प्रकारांतर तहव्वुर राणा को अमेरिका में सजा सुनाई गई थी।” जो बाइडेन जब सत्ता में आये, राणा के प्रत्यर्पण का आश्वासन दिया। हालांकि, यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प थे, जिन्होंने फरवरी में वाशिंगटन में प्रधान मंत्री मोदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की थी, कि राणा को भारत को प्रत्यर्पित किया जाएगा। ठीक से देखा जाये तो तहव्वुर राणा को भारत लाने का अकेला क्रेडिट मोदी सरकार को नहीं जाता है। यह समवेत प्रयास का परिणाम है, जिसकी शुरुआत यूपीए ने नवंबर 2009 में की थी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। देश-विदेश के कई मीडिया हाउस में संपादक रहे।)
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