केपी मलिक
साल 2014 में चौधरी अजीत सिंह और जयंत चौधरी के चुनाव हारने के बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में मात्र एक विधायक जीतने और उसके भी भाजपा में जाने के बाद पार्टी शून्य पर आ गई थी। यह वह समय था जब रालोद के लिए बड़ा संकट था किसी भी सदन ने उसका कोई सदस्य नहीं था पार्टी की मान्यता को खतरा पैदा हो गया था। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके 9 विधायक जीतने और खुद राज्यसभा पहुंचकर पार्टी को खड़ी करने में कामयाबी हासिल की। इसके पीछे 2013 में बिगड़े हिंदू-मुस्लिम समीकरण को 10 सालों की मेहनत से ठीक करने का श्रेय भी काफी हद तक जयंत चौधरी को जाता है।
उसी का नतीजा है कि रालोद के 9 विधायकों में से दो विधायक मुस्लिम समाज से हैं लेकिन जिस प्रकार से 2024 में वह घटी दरों पर भाजपा के साथ गए और आज वफ्फ संशोधन बिल पर उन्होंने भाजपा का साथ दिया उस पर सवालिया निशान लग रहे हैं। जबकि जयंत चौधरी मुसलमानों के मामले में लगातार मुखर होकर बोलते रहे हैं चाहे वह मुजफ्फरनगर में कावड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नाम लिखने का मामला हो, चाहे मेरठ में सड़क और छतों पर नमाज पढ़ने का मामला हो। लेकिन एकाएक जयंत चौधरी का बिल का समर्थन करना, पश्चिम उत्तर प्रदेश के लोगों खासकर मुस्लिम समाज के गले नहीं उतर रहा है।
मोदी के हनुमान चिराग पासवान
मोदी के हनुमान चिराग पासवान उन्हीं रामविलास पासवान के बेटे हैं जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेई सरकार में केंद्रीय मंत्री पद से गुजरात के 2002 के दंगों को मुद्दा बनाते हुए इस्तीफा देकर अपने आप को मुस्लिम हितेषी सिद्ध किया था। इसके अलावा दूसरा मौका 2005 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री को लेकर जब उठा पटक चल रही थी तो रामविलास पासवान ने बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री की मांग रख दी थी। उनके इस बयान से बिहार में सरकार नहीं बन पाई और राष्ट्रपति शासन लगना पड़ा था। तब मुसलमानों में रामविलास पासवान की एक अलग ही छवि बन गई थी। वहीं दूसरी और आज उनके बेटे चिराग पासवान मुसलमानों के वह बिल के मामले पर भाजपा के पाले में खड़े नज़र आ रहे हैं।
चुनाव में प्रचार करने नरेंद्र मोदी नहीं आएंगे
यह वही नीतीश कुमार थे जिन्होंने 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के गठबंधन में चुनाव लड़ते हुए साफ कह दिया था कि बिहार के विधानसभा चुनाव में प्रचार करने नरेंद्र मोदी नहीं आएंगे। उस समय नीतीश कुमार ने मोदी से दूरी बनाकर अपने आप को एक बड़े सेकुलर नेता के रूप में पेश किया था आज वहीं नीतीश कुमार है और वही नरेंद्र मोदी।
बहुतायत हिन्दू वोटर को नहीं खोना चाहते नायडू
चंद्रबाबू नायडू का भाजपा के साथ हर मुद्दे पर खड़ा होना 2024 में उसी दिन तय हो गया था जब उन्होंने मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण कर मोदी को गले लगाया था। वह 7 फ़ीसदी मुसलमान वोट के पीछे बहुतायत हिन्दू वोटर को नहीं खोना चाहते। हालांकि यह भी माना जाता है कि चंद्रबाबू नायडू बहुत ही हार्डकोर बारगेनर है और उन्होंने इस मामले में भी कहीं ना कहीं भाजपा से बारगेनिंग की है।
(लेखक वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार हैं। सम्प्रति भास्कर से सम्बद्ध।)
नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। G.T. Road Live का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।