के. पी. मलिक
उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी दल के दिल्ली और लखनऊ के बीच चल रहे सियासी घमासान का लाभ, आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी को होता दिखाई दे रहा है। जिससे बसपा सुप्रीमो मायावती चिंतित दिखाई दे रही है। जिस प्रकार से उन्होंने कुछ समय पहले आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया और कुछ दिनों बाद ही फिर वापस लिया, इससे उनकी हड़बड़ाहट साफ दिखाई देती है। उनका मानना है कि उनकी सियासी फसल पर दूसरे दलों की गिद्ध नजर है। जिसमें मुख्यतः समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी बसपा के वोटो को हथियाने का काम कर रही है।
समाजवादी और कांग्रेस गठबंधन
दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान संविधान बचाओ यात्रा और संसद में अंबेडकर पर भारतीय जनता पार्टी के अमित शाह द्वारा दिए गए बयान पर बसपा सुप्रीमो का कोई खास विरोध ना करने के चलते उनके वोटरों को सोचने पर मजबूर कर रहा था. जिससे वोटर बड़ी तादाद में समाजवादी और कांग्रेस गठबंधन में चला गया था। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी दल के अलावा चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भी मायावती की सियासी फसल में सेंध लगा सकती है इसकी चिंता के तहत मायावती सकते में है, जानकारों के मुताबिक मायावती ने उसी रणनीति के तहत आकाश आनंद को वापस लिया है।
(लेखक वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार हैं। सम्प्रति भास्कर से सम्बद्ध।)
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