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कैथोलिक चर्च के 2,000 साल के इतिहास में पहली बार एक अमेरिकी पोप चुने गए हैं. कार्डिनल रॉबर्ट प्रेवोस्ट ने पोप बनने के बाद लियो XIV नाम अपनाया है.69 वर्षीय प्रेवोस्ट एक मिशनरी के रूप में पेरू में वर्षों तक सेवा करते रहे और बाद में वेटिकन के प्रभावशाली बिशप कार्यालय का नेतृत्व किया. गुरुवार  सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफेद धुआँ निकला, जो इस बात का संकेत था कि कैथोलिक चर्च को नया धर्मगुरु मिल गया. पूर्व पोप फ्रांसिस ने 2023 में प्रेवोस्ट को वेटिकन बुलाया था और उन्हें उस शक्तिशाली कार्यालय का प्रमुख बनाया जो दुनियाभर में बिशपों की नियुक्ति की जांच करता है.

यह कैथोलिक चर्च की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में से एक है. इसी वजह से प्रेवोस्ट का नाम कॉन्क्लेव से पहले खासा प्रमुख हो गया था. कुल 135 पात्र कार्डिनलों ने एक गुप्त मतदान प्रक्रिया, जिसे “कॉन्क्लेव” कहा जाता है, में भाग लिया. इस दौरान कार्डिनलों का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं था और उनके वोट कभी सार्वजनिक नहीं किए  जाते . पोप के लिए आधिकारिक उम्मीदवार कभी घोषित नहीं किए जाते, लेकिन कुछ कार्डिनल्स को “पापाबिले” माना जाता है – यानी उनमें पोप बनने के लक्षण होते हैं. पोप लियो XIV ने पोप फ्रांसिस का स्थान लिया है, जिनका हाल ही में निधन हो गया. फ्रांसिस पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे और उन्होंने करीब 12 वर्षों तक चर्च का नेतृत्व किया.

 

 

 

 

 

 

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