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‘झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल’ में भारी अनियमितता व भ्रष्टाचार से व्याप्त संचालित का मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है. मामला रविवार को राजभवन पहुंचा, जब जेएलकेएम के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेन्द्र नाथ महतो के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल संतोष गंगवार से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल में रविन्द्रनाथ महतो,लक्की रामू राज, गुलाम सरवर, विनय कुमार, आशीष चौधरी व पंकज कुमार उपस्थित थे. राज्यपाल ने मामले में  उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. इस मौके पर देवेन्द्र नाथ महतो ने राज्यपाल को बताया कि झारखंड राज्य फार्मेसी काउंसिल में अनियमितता और भ्रष्टाचार से व्यवस्था संचालित हो रही है. 

इस मामले का उजागर एवं समुचित कार्रवाई हेतु झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा के द्वारा बीते 19 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह को लिखित ज्ञापन सौंपा गया. इसके बाद 23 जुलाई को पूर्व विभागीय व प्रशासनिक सूचनार्थ के तहत झारखंड राज्य फार्मेसी काउंसिल के समक्ष धरना प्रदर्शन हुए.

वहीं इस मामले में संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष व डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो ने भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सीधा पत्र लिखकर संज्ञान में लाया, लेकिन अब तक सुधार व समाधान हेतु कोई विभागीय ठोस कार्रवाई नहीं की गई. 

राज्यपाल से निम्न मांगों पर कार्रवाई की मांग 

1) वर्तमान गैरसरकारी औपबंधिक निबंधक सह सचिव (प्रशांत कुमार पांडे) का कार्यकाल 13 अप्रैल 2025 को समाप्त होने के बाद भी पद पर आसीन होकर कई भ्रष्टाचार लिप्त व अनियमितता पूर्ण क्रियाशीलता जारी रखें हैं। अतः इनकी संपूर्ण कार्यकाल के सर्विस रिकॉर्ड का जांच हेतु SIT कमेटी गठित किया जाए।
( चूंकि इनके कार्यकाल में 500 से ज्यादा फार्मासिस्ट का निबंधन कराया गया है, प्रशांत कुमार पांडे जी बिहार एवं झारखंड दो राज्य के फार्मासिस्ट काउंसिल से निबंधित है। जो की फार्मेसी एक्ट 1948 के धार 32 (2) तथा 42 का उल्लंघन है।)
2) काउंसिल में मनोनीत अध्यक्ष,सचिव व अन्य सदस्यों का चयन सरकारी पद पर आसीन मूल झारखंडी फार्मासिस्ट को ही मनोनीत किया जाए। ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके। ( चूंकि गैर सरकारी एवं गैर फार्मासिस्ट विमलेश दुबे और गैर सरकारी धर्मेंद्र सिंह सहित पांच सदस्यों को मनोनीत करने का प्रक्रियाधीन हैं जो सभी गैर सरकारी हैं )
3) काउंसिल के पूर्व निर्वाचित सदस्यों की निर्वाचन प्रक्रिया को स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराया जाए। ( चूंकि निर्वाचन प्रक्रिया में फर्जी तरीके से पत्राचार करने का आरोप है।)
4) आगामी काउंसिल के निर्वाचित सदस्यों की निर्वाचन प्रक्रिया किसी स्वतंत्र आयोग द्वारा प्रत्यक्ष व पारदर्शी तरीके से किया जाए।
5) हमारे राज्य के कई फार्मेसी महाविद्यालय PCI द्वारा मानक मापदंडों के अनुपालन नहीं होने के बाद भी लगातार काउंसिल के संरक्षण में गलत तरीके से संचालित हो रही है। इसकी जांच किया जाए।
6) निर्वाचित सदस्य श्री धर्मेंद्र सिंह फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया नई दिल्ली के कार्यकारिणी समिति के सदस्य भी हैं। जो फर्जी तरीके से कॉलेजों को मान्यता प्रदत करने के मामले पर सीबीआई द्वारा दर्ज FIR में आरोपित होने का सूचना है। जांच करते हुए सदस्यता रद्द किया जाए. 

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