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झारखंड विधानसभा के पूरक मानसून सत्र के दौरान मंगलवार को विधानसभा ने झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 को पास कर दिया है. इसके साथ ही अब विश्वविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों में राज्यपाल के अधिकार सीमित हो जाएंगे. वहीं अब राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति, प्रतिकुलपति और वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति का अधिकार भी राज्यपाल के बजाय राज्य सरकार के पास होगा. बता दें कि पिछले महीने हुए राज्य कैबिनेट की बैठक में झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 को स्वीकृति दी गई थी.  

कहा जा रहा है कि सरकार का यह कदम विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता बढ़ाने, पारदर्शिता लाने और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए है. झारखंड से पहले बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भी राज्य सरकारों ने विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति से राज्यपाल की भूमिका को खत्म करने या सीमित करने के लिए विधेयक पारित किए हैं.

वहीं इस मामले में संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि राज्यपाल का कुलाधिपति के रूप में कार्य करना एक वैधानिक जिम्मेदारी है, न कि संवैधानिक. ऐसे में राज्य सरकार कानून बनाकर इस भूमिका को बदल रही है. हालांकि, राज्यपाल यदि चाहें, तो इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं, जिससे मामला लंबा खिंच सकता है. झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 विधानसभा में पारित होने के बाद अगर राज्यपाल इस फैसले को मंजूरी नहीं देंगे, तो यह मुद्दा कानूनी और राजनीतिक विवाद का कारण बन सकता है. 

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