शहर से गांव डगर तक की कहानी

जीटी रोड लाइव खबरी

16वें वित्त आयोग से झारखंड को समृद्ध राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार ने कई मांगें की है. झारखंड के दौरे पर आए आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के साथ रांची में हुई उच्च स्तरीय बैठक में झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने राज्य के 23 विभागों के द्वारा अगले 5 वर्षों के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुल 3,03,527.44 करोड रुपये की वित्तीय सहायता की मांग की है.

बता दें कि 15वें वित्त आयोग को झारखंड सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए करीब डेढ़ लाख करोड रुपये का प्रस्ताव दिया गया था जिसके विरुद्ध झारखंड राज्य को ग्रामीण सड़क पुलिया आपदा प्रबंधन नगर विकास तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में 12398 करोड रुपए ही उपलब्ध कराए गए हैं. सरकार ने बकाया राशि की भी मांग की है.

इसके अलावा जीएसटी कंपनसेशन जो 5 वर्ष जुलाई 2017 से जुलाई 2022 तक प्राप्त होता रहा था जुलाई 2022 पर के बाद बंद हो गया है. इससे करीब 61670 करोड रुपये का झारखंड को नुकसान हुआ है. राज्य सरकार ने वित्त आयोग की टीम से अतिरिक्त अनुदान देने की भी मांग की है ताकि उक्त नुकसान से निदान मिल सके.

स्थानीय निकायों के चुनाव होने पर मिलेगा बकाया पैसा

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया से स्पष्ट कर दिया है कि इस साल झारखंड में स्थानीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तो वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 दोनों का बकाया पैसा मिल जाएगा. वे शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि 15वां वित्त आयोग ने शर्त लगाई थी कि ग्रांट के लिए स्थानीय निकायों का चुनाव जरूरी है. चुनाव नहीं होने के कारण यहां का पैसा रूका हुआ है. अगर इस साल चुनाव हो जाएगा तो दो साल का पैसा भी रिलीज हो जाएगा.

वित्त आयोग सिर्फ सिफारिश ही करता है पनगढ़िया से यह भी स्पष्ट किया कि वित्त आयोग सिर्फ सिफारिश ही करता है. ग्रांट सेंट्रल गर्वमेंट के बजट से ही आता है. उन्होंने बताया कि अब योजना आयोग खत्म हो गया है. उनकी जगह नीति आयोग ने ले ली है. 13 वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों की राज्य की भागीदारी 32.02 फीसदी देने की सिफरिश की थी. शेष 68 फीसदी हिस्सा सेंट्रल पूल में जाता है.

15वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्य की भागीदारी 41 फीसदी करने की अनुशंसा की थी. अब झारखंड सरकार केंद्रीय करों में 50 फीसदी भागीदारी की मांग कर रहा है.

वित्त मंत्री ने रखी बकाए की मांग 

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष अपने प्रस्तावों में कई बातों को रखा. कुछ मुख्य बिंदु इस भाषण से:

कृषि आधारित असंतुलित अर्थव्यवस्था – 70-80% आबादी कृषि पर निर्भर, सिंचाई क्षमता की भारी कमी, भू-क्षरण की तीव्र समस्या.

जल संकट – केवल 20% वर्षा जल का संचयन, भूजल स्तर गिरता जा रहा है, विशेष वित्तीय सहायता की आवश्यकता.

 उग्रवाद – पूर्ण रूप से समाप्त नहीं, 200 पुलिस कैम्प हटाने पर पुनः पनपने की संभावना, पुलिस बल की भारी कमी. अगले पांच वर्षों तक मिले विशेष केंद्रीय सहायता.

स्वास्थ्य – 65% महिलाएं एनीमिक, 40% बच्चे कुपोषित, डॉक्टर व नर्स की भारी कमी.

सड़क और ग्रामीण पथ – राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे, दुर्गम क्षेत्रों में आवागमन कठिन, 21,000 किमी नई सड़क और 26,000 किमी पुरानी सड़कों की मरम्मत की योजना.

उच्च शिक्षा – केवल 38 विश्वविद्यालय, नामांकन दर राष्ट्रीय औसत से कम (20% बनाम 28.4%).

प्रति व्यक्ति आय – ₹1,05,274 प्रतिवर्ष, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम, झारखंड 26वें स्थान पर.

कृषि सहायक क्षेत्र (दूध, मछली पालन) – राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे, केंद्र सरकार के सहयोग की आवश्यकता.

बैंक सहयोग की कमी – CD रेशियो केवल 50.68%, CSR फंड के उपयोग में पारदर्शिता की कमी.

केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत बकाया राशियाँ – जैसे मनरेगा, जल जीवन मिशन, पेंशन योजनाएं, कोयला कंपनियों पर बकाया ₹1.36 लाख करोड़.

वित्तीय प्रबंधन – बजट 2024-25: ₹1.28 लाख करोड़; GSDP: ₹5.06 लाख करोड़, राजकोषीय घाटा 2.27% (FRBM सीमा से कम), स्व-कर संग्रह लक्ष्य का 83.56% प्राप्त.

अनुदान में गिरावट – 2019-2025 के बीच कुल वित्तीय क्षति ₹25,435.84 करोड़.

GST क्षतिपूर्ति की मांग – अगले 5 वर्षों में ₹61,677 करोड़ की संभावित हानि.

विकास सहायता की मांग – ₹3,03,527.44 करोड़ की मांग की गई विभिन्न विभागों से.

वित्त मंत्री ने कहा कि जल संचयन झारखंड एक “रेन शैडो” राज्य है. प्रत्येक वर्ष राज्य को सूखा का सामना करना पड़ता है. यहां मात्र 20% ही वर्षा जल का संचयन होता है और 80% वर्षा जल बह जाता है. वहीं राज्य में उग्रवाद की स्थिति की चर्चा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व से उग्रवाद पर काफी हद तक नियंत्रण पाया गया है, लेकिन यह पूर्णतः समाप्त नहीं हुआ है. ऐसे में 200 पुलिस कैंप को हटाए जाने पर पुनः उग्रवाद पनप सकता है. वित आयोग के साथ बैठक में मंत्री राम दास सोरेन, मुख्य सचिव अलका तिवारी, वित्त सचिव प्रशांत कुमार सहित मंत्री और अधिकारी शामिल थे.

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version