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विश्व बैंक ने 1954 में मध्यस्थता और छह साल की बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 को दोनों देशों सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुआ था.भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान को जवाब में  पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. विभाजन के बाद से पाकिस्तान में बहने वाले पानी का कंट्रोल भारत के पास ही रहा. संधि के तहत पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों – झेलम, चिनाब और सिंधु का पानी दिया गया था , और भारत को पूर्वी नदियों  सतलुज, ब्यास और रावी के पानी का नियंत्रण मिला था. निर्धारित शर्तों के तहत भारत पश्चिमी नदियों के पानी का इस्तेमाल सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन, पेयजल आपूर्ति के लिए ,पाकिस्तान  कर सकता है. 

 

 

 

 

10 पर्सेंट ही इस्तेमाल करता है,भारत
 भारत कुल पानी का 10 पर्सेंट ही इस्तेमाल करता है.भारत को उपयोग के लिए 18 प्रतिशत पानी दिया गया है. हालांकि सिंधु जल संधि के अनुसार भारत पश्चिमी नदियों के पानी का उपयोग गैर-उपभोग्य तरीकों से कर सकता है. यानी भारत ऐसी जलविद्युत परियोजनाएं बना सकता है, जिससे  नदी का  मार्ग  भी  न बदलें और नीचे की ओर जल स्तर को कम न करें.भारत की पहली परियोजना किसनगंगा जलविद्युत परियोजना , दोनों देशों के बीच उस समय विवाद का विषय बन गई, जब भारत ने सिंधु की एक सहायक नदी  किशनगंगा किस्तान में नीलम नदी पर 2007 में इस परियोजना का निर्माण शुरू किया, तो पाकिस्तान ने इस मामले को हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता कोर्ट  में ले गया. कोर्ट  ने 2013 में भारत के पक्ष में फैसला सुनाया. भारत ने 2018 में इसके निर्माण का उद्घाटन किया था.

कई जलविद्युत परियोजनाओं को मंजूरी

भारत ने हाल ही में कई जलविद्युत परियोजनाओं की मंजूरी दी है. इनमें किरू हाइडल (624 मेगावाट) और चेनाब पर क्वार हाइडल (560 मेगावाट) शामिल हैं. इससे पहले भारत ने किश्तवाड़ में पाकल दुल परियोजना (1,000 मेगावाट) और रतले परियोजना (850 मेगावाट) के निर्माण की अनुमति दी थी.रिपोर्ट्स के अनुसार सिंधु बेसिन की नदियां पाकिस्तान के 25 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद  का समर्थन करती हैं और देश की खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती योग्य भूमि सिंधु प्रणाली के पानी पर निर्भर है, जो  देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी का भरण-पोषण करती है. लाहौर, कराची और मुल्तान जैसे प्रमुख शहरों को पीने और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए इस प्रणाली से पानी मिलता है.

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