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चुनावों में मतदाता सूचियों में मौजूद गड़बड़ियों को दूर करने और उसकी विश्वसनीयता को बनाए रखने के साथ साथ मतदान प्रक्रिया को नागरिकों के लिए और अधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से चुनाव आयोग ने गुरूवार को तीन नई पहल शुरू की. ये उपाय मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के द्वारा मार्च में नई दिल्ली में आयोजित सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के सम्मेलन के दौरान किए गए पहलों के अनुरूप हैं.
चुनाव आयोग अब भारत के महापंजीयक से मृत्यु पंजीकरण डेटा इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त करेगा, जो कि मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 9 और जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 (2023 में संशोधित) की धारा 3(5)(बी) के अनुरूप है. इस नई व्यवस्था से यह सुनिश्चित होगा कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) को पंजीकृत मौतों के बारे में समय पर जानकारी मिले. इससे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) भी फॉर्म 7 के तहत औपचारिक अनुरोध का इंतजार किए बिना फील्ड विजिट के जरिए जानकारी को फिर से सत्यापित कर सकेंगे.
अपनाए जाने वाले इन नई पहलों में दूसरी पहल मतदाता सूचना पर्ची (वीआईएस) से जुड़ी है, जिसके अंतर्गत मतदाता सूचना पर्ची को और अधिक मतदाता अनुकूल बनाने के लिए इसके डिजाइन को भी संशोधित किया जाएगा. मतदाता की क्रम संख्या और भाग संख्या को अब अधिक प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा साथ ही फ़ॉन्ट के आकार को भी बढ़ाया जाएगा, जिससे मतदाताओं के लिए अपने मतदान केंद्र की पहचान करना आसान हो और मतदान अधिकारियों के लिए मतदाता सूची में उनके नाम को ढूंढना आसान हो.
आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13बी(2) के तहत ईआरओ द्वारा नियुक्त सभी बीएलओ को मानक फोटो पहचान पत्र जारी किए जाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदाता सत्यापन और पंजीकरण अभियान के दौरान नागरिक बीएलओ को पहचान सकें और उनके साथ विश्वासपूर्वक बातचीत कर सकें. चुनाव संबंधी कर्तव्यों के निष्पादन में मतदाताओं और ईसीआई के बीच पहले इंटरफेस के रूप में, यह महत्वपूर्ण है कि घर-घर जाकर काम करने के दौरान बीएलओ को जनता आसानी से पहचान सके.