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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह के दौरान देश के जांबाज सैनिकों को छह कीर्ति चक्र और 33 शौर्य चक्र पुरस्कारों से सम्मानित किया. राष्ट्रपति ने सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के कर्मियों को कर्तव्य के दौरान अदम्य साहस और असाधारण वीरता दिखाने के लिए चार मरणोपरांत समेत छह कीर्ति चक्र प्रदान किए. कीर्ति चक्र भारत का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है.

सरकार द्वारा जारी की गई पुरस्कार विजेताओं की सूची के अनुसार, सिख लाइट इन्फेंट्री के कर्नल मनप्रीत सिंह, राष्ट्रीय राइफल्स के दो अन्य सैन्य कर्मियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह के दौरान सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस के कर्मियों को सात मरणोपरांत समेत 33 शौर्य चक्र भी प्रदान किए.

 जांबाजों को कीर्ति चक्र से किया सम्मानित

मराठा लाइट इन्फेंट्री, 56 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर मल्ला राम गोपाल नायडू और पंजाब रेजिमेंट, 22 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर मंजीत को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. इसके अलावा 63 राष्ट्रीय राइफल्स की जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फेंट्री के राइफलमैन रवि कुमार, 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फेंट्री के कर्नल मनप्रीत सिंह, 28 राष्ट्रीय राइफल्स की आर्टिलरी रेजिमेंट के नायक दिलवर खान और जम्मू और कश्मीर पुलिस के पुलिस उपाधीक्षक हिमायूं मुजम्मिल भट को मरणोपरांत भारत का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार प्रदान किया गया है.

33 शौर्य चक्र किए प्रदान

राष्ट्रपति भवन ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर समारोह की तस्वीरें भी साझा कीं हैं. एक पोस्ट में राष्ट्रपति ऑफिस ने कहा, ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्क्वाड्रन लीडर दीपक कुमार, फ्लाइंग (पायलट) को शौर्य चक्र प्रदान किया. एक जानलेवा स्थिति में उनकी निर्भीक निर्णय क्षमता ने रात के अंधेरे में विमान को जबरन उतारकर एक मूल्यवान राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की और संभावित जानमाल के नुकसान को रोका.’

एक अन्य पोस्ट में कहा गया, ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय वायु सेना के कॉर्पोरल दाभी संजय हिफ्फाभाई को शौर्य चक्र प्रदान किया. मई 2024 में एक आतंकी हमले में, उन्होंने असाधारण संयम और सामरिक जागरूकता दिखाई. गंभीर चोटों और भारी रक्तस्राव के बावजूद, उन्होंने रणनीतिक रूप से अपनी स्थिति समायोजित की, कवर लिया और अपने निजी हथियार से दुश्मन का सामना किया, जिससे अपनी टीम के सदस्यों की कीमती जानें बचाईं.’

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