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देश में अगली जनगणना के साथ ही जाति जनगणना भी कराए जाने के मोदी सरकार के हाल ही में किए गए एलान के बाद अब इसका क्रेडिट लेने की भी राजनीतिक दलों में होड़ लगी हुई है. केंद्र के एलान के तत्काल बाद बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि जाति जनगणना का मोदी सरकार पहले विरोध कर रही थी, लेकिन अब वह ‘राजद के एजेंडे’ पर चल रही है. तेजस्वी ने कहा था कि आने वाले समय में इस जाति जनगणना के आधार पर वह पूरे देश के विधानसभा चुनावों में पिछड़े और अति पिछड़ों के लिए भी सीटें आरक्षित करने की मांग करेंगे.
तेजस्वी का एनडीए पर निशाना
इसी क्रम में शनिवार को तेजस्वी यादव ने जाति जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, और इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर साझा भी किया है. इस पत्र में उन्होंने लिखा , “आदरणीय प्रधानमंत्री जी, देशभर में जाति जनगणना कराने की आपकी सरकार की हालिया घोषणा के बाद मैं आपको यह पत्र उम्मीद के साथ लिख रहा हूं. कई सालों तक आपकी सरकार और एनडीए गठबंधन ने जाति जनगणना की मांग को यह कहकर ठुकरा दिया कि यह समाज को बांटने वाली और ग़ैर-ज़रूरी है.”
बिहार के प्रयासों की हुई थी आलोचना
तेजस्वी यादव ने पत्र में बिहार द्वारा अपने स्तर पर शुरू किए गए जाति सर्वेक्षण पर केंद्र सरकार की ओर किए गए प्रश्नों का ज़िक्र किया. उन्होंने लिखा, “जब बिहार ने अपने स्तर पर जाति सर्वेक्षण शुरू किया, तो केंद्र सरकार और उसके वरिष्ठ कानून अधिकारियों ने उसमें कई अड़चनें पैदा कीं. आपकी पार्टी के नेताओं ने तो यह तक पूछ लिया कि ऐसे आंकड़े इकट्ठा करने की ज़रूरत ही क्या है. इस मुद्दे पर कई अपमानजनक और असंवेदनशील टिप्पणियां भी की गईं.”
उन्होंने आगे कहा, “अब आपकी सरकार का यह देर से लिया गया फ़ैसला यह दिखाता है कि आप यह मानने लगे हैं कि हमारे समाज के हाशिये पर रह रहे नागरिकों की आवाज़ को अनसुना नहीं किया जा सकता. ऐसे में जाति जनगणना का फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में उठाया गया पहला क़दम बताया है.