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बिहार में विधानसभा चुनाव होना है तो राजनेताओं की मुलाकातें सुर्खियां बनने लगती हैं. बीते दिनों केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की थी इसे लेकर राजनीतिक जगत में खूब हलचल रही. अब चिराग पासवान और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व पूर्व उप मुख्यमंत्री राजद नेता तेजस्वी यादव की मुलाकात हुई है. इस मुलाकात को लेकर भी बिहार में सियासी पारा गर्म है.
यह मुलाकात नवादा जिले के कौआकोल प्रखंड स्थित पांडेय गंगौट गांव में हुई, जहां दोनों नेता शहीद मनीष कुमार को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. चिराग पासवान वहां श्रद्धांजलि देने पहुंचे ही थे, जबकि तेजस्वी यादव श्रद्धांजलि देकर लौट रहे थे. इसी दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात हो गई. दोनों नेता लंबे अरसे बाद एक-दूसरे से मिले. गर्मजोशी से हुई मुलाकात में दोनों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया, एक-दूसरे का हालचाल भी जाना.
राजनीतिक दलों की चुनावी तैयारियों में तेजस्वी यादव और चिराग पासवान की यह मुलाकात सिर्फ एक संयोग है या चुनाव से पहले कोई नया सियासी समीकरण बनने की आहट, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन इस मुलाकात ने सियासी रंग ले लिया. तेजस्वी और चिराग के बीच जिस तरह की गर्मजोशी दिखी, उससे नए समीकरणों की आहट के चर्चे भी तेज हो गए. इसे लेकर अब दोनों ही नेताओं की पार्टियों के बयान आ गए हैं.
लोजपा (रा) का बयान
चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरेंद्र कुमार मुन्ना ने कहा है कि नीतियों पर भले ही विरोध हो, लेकिन दोनों नेताओं के व्यक्तिगत रिश्ते बहुत अच्छे हैं. चिराग पासवान और तेजस्वी यादव के बीच बड़े और छोटे भाई का रिश्ता है. चिराग और तेजस्वी, दोनों ही बिहार में अगली पीढ़ी के नेता हैं. चिराग पासवान और तेजस्वी यादव की मुलाकात को लेकर मुन्ना ने कहा कि दोनों की मुलाकात शहीद के घर हुई, वह जगह भी निष्पक्ष है. वहां कोई सत्ता पक्ष और विपक्ष नहीं है.
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का बयान
वहीं, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि शहीद के घर पर तेजस्वी यादव और चिराग पासवान की मुलाकात हुई. उन्होंने कहा कि दोनों ही युवा हैं और दोनों के पिता मित्र रहे हैं. चिराग पासवान जिस गठबंधन में हैं, उसकी सरकार की वजह से बिहार की दुर्दशा है. मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह बात चिराग पासवान भी जानते हैं. चिराग पासवान को बिहार का दर्द सता रहा है, इसीलिए वह अब कह रहे हैं कि बिहार आना चाहते हैं. चिराग पासवान को बिहार आना चाहिए. बेहतर बिहार के लिए चिराग पासवान को लड़ाई लड़नी चाहिए. उन्हें चाहिए कि केंद्र में मंत्री की कुर्सी को लात मार दें.