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झारखंड के बोकारो और हजारीबाग जिले के 19 प्रवासी मजदूर पिछले कई महीनों से अफ्रीकी देश कैमरून में फंसे हुए हैं. मजदूरों ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर झारखंड सरकार से वतन वापसी की गुहार लगाई है. इन मजदूरों में से 11 को चार महीने और 8 मजदूरों को दो महीने से कंपनी ने वेतन भुगतान नहीं किया है, जिसके कारण उनके समक्ष अब खाने का भी संकट खड़ा हो गया है. मजदूरों ने सरकार से वतन वापसी की गुहार लगायी है, साथ ही बकाया वेतन के भुगतान की मांग भी की है.
सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने केंद्र और राज्य सरकार से मजदूरों के सकुशल वतन वापसी के लिए ठोस कूटनीतिक पहल करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि विदेशों में फंसने वाले मजदूरों का यह कोई पहला मामला नहीं है.
इससे पहले भी कई बार प्रवासी मजदूर विदेश जाकर फंस चुके हैं. काफी मशक्कत के बाद उनकी वतन वापसी करायी गयी. इसके बावजूद प्रवासी मजदूर पुरानी घटनाओं से सबक नहीं ले रहे हैं. सरकार को मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए रोजगार की व्यवस्था करने की जरूरत है.
कैमरून में फंसे मजदूरों में बोकारो के प्रेम टुडू (चिलगो), सिबोन टुडू (चिलगो), सोमर बेसरा (करी खुर्द), पुराण टुडू (करी खुर्द), रामजी हांसदा (बडकी सिधाबारा), विरवा हांसदा (बडकी सिधाबारा), महेन्द्र हांसदा (बडकी सिधाबारा),बब्लू सोरेन (पोखरिया) शामिल हैं. वहीं हजारीबाग के आघनू सोरेन (भेलवारा),अशोक सोरेन(खरकी), चेतलाल सोरेन (खरकी), महेश मरांडी (खरकी), रामजी मरांडी (खरकी) लालचंद मुर्मू (खरकी), फूलचंद मुर्मू (नरकी), बुधन मुर्मू (नरकी, जिबलाल मांझी (चानो), छोटन बासके(टाटीझरिया) और राजेंद्र किस्कू(टाटीझरिया) शामिल हैं.