केपी मलिक
पिछले कुछ दिनों से लगातार लोनी के भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर यूपी की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठा कर योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। उनका कहना है कि गाजियाबाद पुलिस प्रशासन में भयंकर भ्रष्टाचार है और पुलिस कमिश्नर की सरपरस्ती में जिले में हजारों गायों को काटा जा रहा है। सरकार के गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में गौहत्या होना कहीं ना कहीं कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करना जैसा है और यह ऐसे में यह और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब सत्ताधारी दल का कोई विधायक इस तरह के आरोप लगा रहा हो।
दूसरा एक और सवाल यहां महत्वपूर्ण है कि जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी प्रदेश की कानून व्यवस्था की मिसाल पूरे देश में दे रहे हैं। और वहीं इस कानून व्यवस्था पर उनके विधायक सवाल उठा रहे हैं? तो यहां सवाल बन जाता है कि दोनों में से कौन सच बोल रहा है? क्योंकि यह तो साफ है कि दोनों में से कोई एक तो झूठ बोल रहा है अब कौन झूठ बोल रहा है और कौन सच? इसका फैसला कैसे हो, यह सबसे बड़ा सवाल है?
दरअसल सीएम योगी के खिलाफ विधायक नंदकिशोर गुर्जर का मोर्चा खोलने पर दबी ज़बान में चर्चाएं हैं कि योगी को घेरने के लिए उनको दिल्ली की ओर से इशारा है। इसके अलावा हमारे सूत्र यह भी बताते हैं कि श्रेत्र में चर्चा यह भी है कि नंदकिशोर गुर्जर कहीं ना कहीं इस बात से भी घबराए हुए हैं कि उनको कहीं ना कहीं इस बात के संकेत मिल गए हैं कि आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में वर्तमान में खतौली से आरएलडी विधायक मदन भैया लोनी से भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं। तो क्या इससे भी कहीं ना कहीं नंदकिशोर गुर्जर घबराहट और जल्दबाजी में इस तरह की बयान बाजी कर रहे हैं?
क्योंकि बड़ा सवाल यह है पुलिस प्रशासन पर दुर्व्यवहार करने और पुलिस द्वारा उनका कुर्ता फाड़ने के आरोप लेकर फटा हुआ कुर्ता पहने हुए लखनऊ में जाकर भाजपा अध्यक्ष के कारण बताओं नोटिस देने के बावजूद प्रेस कांफ्रेंस करने का जज्बा भाजपा विधायक के अंदर कहां से पैदा हुआ है? इस प्रकार के तमाम सवाल है इन सवालों के उत्तर के इंतजार में मैं भी हूं और आप भी रहिए।
(लेखक वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार हैं। सम्प्रति भास्कर से सम्बद्ध।)
नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। G.T. Road Live का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।
सीएम योगी और नंदकिशोर गुर्जर में अनबन