शहर से गांव डगर तक की कहानी

जीटी रोड लाइव डेस्क

पाकिस्तान के सूबे बलूचिस्तान में बरसों से अलग देश की मांग उठती रही है। पाकिस्तान ने हमेशा सैनिक हिंसा के बल पर इस आवाज़ को कुचलने का प्रयास किया है। लेकिन ‘अब नहीं तो कभी नहीं’ के तर्ज़ पर बलूचों ने सर पर कफ़न बाँध लिया है और आन्दोलन तेज़ है आजकल। पिछले दिनों 14 मई को बलूचिस्तान ने स्वतंत्र राष्ट्र की घोषणा तक कर दी थी। बलूचिस्तान के प्रमुख राजनीतिक  कार्यकर्ता और लेखक मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया पर ‘बलूचिस्तान गणराज्य’ के गठन की घोषणा के साथ संयुक्त राष्ट्र और भारत से मान्यता देने का आग्रह किया था। अब बलूच अमेरिकन कांग्रेस (BAC) के अध्यक्ष तारा चंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी भेजी है। जिसमें बलूचिस्तान के लिए भारत से नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन माँगा है।

जबरन बलूचिस्तान को पाकिस्तान में मिलाया

बलूचिस्तान के पूर्व मंत्री तारा चंद ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि बलूचिस्तान को ज़बरदस्ती पाकिस्तान में शामिल किया गया। तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत ने इस पर ध्यान नहीं दिया। फिर 1948 में पाकिस्तानी फ़ौज ने हिंसा के रास्ते से बलूचों की आवाज़ को दबाते हुए जबरन बलूचिस्तान को पाकिस्तान में मिला लिया। जब से बलूचों पर पकिस्तान सरकार का ज़ुल्म-अत्याचार जारी है। पाकिस्तानी सेना का क्रूर अभियान चलाकर बलूच राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन को कुचल रहा है। पाकिस्तानी सरकार की दख़ल के कारण चीन बलूचिस्तान में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। विश्व ने आँख मूँद रखा है या उसे बलूचिस्तान में पाकिस्तान के अत्याचारों की बहुत कम जानकारी मिल पा रही है।

अमेरिकन कांग्रेस (BAC) पंजीकृत राजनीतिक संगठन

तारा चंद ने भारत से बलूचिस्तान पर विशेष ध्यान दिए जाने का आग्रह किया है। इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने का अनुरोध भी किया है। तारा चंद ने पत्र में लिखा है कि यदि बलूचिस्तान अलग देश बना तो इससे शांतिप्रिय भारतीयों  को लाभ होगा। उन्होंने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के पीएम मोदी के फैसले को साहसी क़दम बताया है। बता दें कि बलूच अमेरिकन कांग्रेस (BAC) पंजीकृत राजनीतिक संगठन है। यह संगठन बलूच राष्ट्रीय संघर्ष की वकालत करता है. अमेरिका में बलूच डायस्पोरा के सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रीय है।

 

 

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