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भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सरना धर्म कोड के मुद्दे पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा पर घड़ियाली आंसू बहाकर आंदोलन का नाटक करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जब वह 2014 में केंद्र में सत्ता में थी तो इन्होंने इसे खारिज किया था. आज केंद्र में सत्ता से बाहर है तो इस पर आंदोलन करने की बात कर रहे हैं. जनता इनकी सारी चालबाजियों को समझती है. कांग्रेस और झामुमो ने बेशर्मी की सारी सीमाओं को तोड़ दिया है. 2014 के अपने सरना धर्म कोड की मांग को खारिज करने वाले कुकृत्य को भूलकर फिर से एक बार आंदोलन और धरना प्रदर्शन की बातें कर रहे हैं.

प्रदेश मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में प्रतुल शाहदेव ने कहा कांग्रेस और झामुमो की संयुक्त यूपीए की सरकार में तत्कालीन आदिवासी कल्याण मंत्री वी किशोर चंद्रदेव ने 11 फरवरी, 2014 को पत्रांक संख्या 16012 /19/2013 /(PC &V) के जरिए सरना धर्म कोड को अव्यवहारिक बताते हुए इसे खारिज कर दिया था. आदिवासी कल्याण मंत्री किशोर चंद्र देव ने यह भी कहा था की ऐसी मांग को मानने से दूसरे धर्म से भी सैकड़ो मांग आ सकती है. इसीलिए इस मांग का विरोध है. प्रतुल ने कहा कि कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा तो सरना धर्म कोड के मुद्दे पर पूरे तरीके से एक्सपोज हो गई.

2014 की गलतियों के लिए मांगें माफी

प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सर्वप्रथम इन दोनों दलों को सरना आदिवासी समाज से अपने 2014 के कुकृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने चाहिए. प्रतुल ने कहा कि कांग्रेस 50 वर्षों से ज्यादा समय तक देश में शासन की. झामुमो भी लंबे समय तक इनकी पिछलग्गू बनी रही, परंतु उन्होंने आदिवासी के हितों में कोई कार्य नहीं किया. उल्टे ही आदिवासी कल्याण मंत्री ने आधिकारिक रूप से सरना धर्म कोड को लिखित रूप से खारिज भी किया. अब झामुमो और कांग्रेस किस मुंह से आंदोलन की बात कर रहे है, ये समझ से परे है. 

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