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नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए सरकार हर मोर्चे पर काम कर रही है. सुरक्षा बल अपनी सधी हुई रणनीति के तहत काम कर रहा है. सरकार ने कहा था कि 31 मार्च 2026 तक देश में नक्सलवाद समाप्त हो जायेगा. माओवाद के खिलाफ़ सुरक्षा अभियान में सरकार ने माओवादियों से बातचीत का रास्ता भी खोल रखा है. सरकार का कहना है कि नक्सली मुख्य धारा में आने के लिए तैयार हैं, तो सरकार सहयोग के लिए तैयार है.
बन रहा मनोवैज्ञानिक दबाव
नक्सलवाद मुक्त देश अभियान के तहत अब तक 114 दिनों में 161 नक्सली मारे जा चुके है. लगभग 600 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. 2024 में पूरे साल में 296 और 2023 में 56 नक्सली मारे गए हैं . दो साल में नक्सलियों पर कारवाई होने की वजह से नक्सलवाद पर लगाम लगा है. बस्तर, बीजापुर और मंडला जैसे नक्सलवाद क्षेत्रों में कारवाई की वजह से नक्सलियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बन रहा है . हर तरफ सुरक्षा बलों की पैनी नज़र है. डिज़िटल प्लेटफार्म भी नक्सलियों के लिए चुनौती बनता जा रहा है .
अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार एक जवान के अनुपात में 11 नक्सली को मारा जा चुका है. 2025 में अभी तक लगभग 600 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं . पिछले दो सालों में लगभग 1300 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. यह एक बड़ी उपलब्धि है. गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार 2018 में नक्सली प्रभाव वाले 11 राज्यों के 126 जिले थे, जो 2024 तक घटकर मात्र 38 रह गए . सबसे ज्यादा प्रभावी क्षेत्रों में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखण्ड है. दूसरे अन्य जिलों को मध्यम या सीमित श्रेणी में रखा गया है.