शहर से गांव डगर तक की कहानी

जीटी रोड लाइव डेस्क 

तमाम ज़हरीले बयानों और मस्जिदों को ढंकने के बावजूद होली-जुमा आख़िर अमन के साथ गुज़र गया। इतने बड़े देश में आधा दर्जन कहीं सांप्रदायिक तनाव, हिंसा (जो ना होते तो बेहतर होता) रेखांकित नहीं किए जा सकते। दूसरी ओर कई जगह होली खेल रहे युवाओं ने नमाज़ियों का स्वागत किया। फूल बरसाए तो कई मुसलमानों ने रंग अबीर लगाए। नफ़रती एजेंडे की सारी तरकीबें पानी भरने को मजबूर हुईं। तदबीर भी काम ना आई, बल्कि मिर्ची ऐसी लगी कि छन-छनाने लगे! वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर के पुजारी के बयान ने उन्हें और लहरा दिया।

श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति संघर्ष न्यास के दिनेश शर्मा ने किया था विरोध 

दरअसल हिंदू-मुस्लिम की परम्परागत एकता एक सियासी पार्टी के लिए बदहज़्मी का सबब बन जाती है और मोहब्बत के ताने-बाने को तोड़ने के लिए उनकी मशीनरी, नफ़रती ट्रोल आर्मी लग जाती है। बात ये है कि वृंदावन में, देवता के लिए सबसे जटिल मुकुट और पोशाक मुस्लिम कारीगर ही सदियों से बनाते आए हैं, जैसे काशी में, भगवान शिव को चढ़ने वाली पवित्र रुद्राक्ष माला भी मुस्लिम परिवार ही तैयार करता आया है। लेकिन भला ये नफ़रती ब्रिगेड को कैसे रास आता। इसका विरोध शुरू हो गया। ख़बर है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति संघर्ष न्यास के दिनेश शर्मा ने चेतावनी दे डाली कि भगवान कृष्ण के वस्त्र केवल धार्मिक शुद्धता का पालन करने वालों द्वारा ही बनाए जाएं, मांस खाने वाले से पोशाक नहीं बनवाई जाए! इस पर रोक नहीं लगी तो विरोध प्रदर्शन होगा!

मुग़ल सम्राट अकबर ने भगवान कृष्ण की पूजा के लिए इत्र भेंट किया था

बांके बिहारी मंदिर, वृन्दावन के पुजारी हैं ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी। उन्होंने सिरे से दिनेश शर्मा की मांग ख़ारिज कर दी। कहा कि बांके बिहारी की पोशाक मुस्लिम कारीगर ही बनाएंगे। ये मंदिर की पवित्र परंपराओं का हिस्सा है और जब तक मंदिर रहेगा बना रहेगा। मुस्लिम कारीगर जब ठाकुरजी की पोशाक बनाते हैं तब वो पूरी पवित्रता का ख़्याल रखते हैं। हमें मुसलमान कारीगरों पर पूरा यक़ीन है।उन्होंने बताया कि मुग़ल सम्राट अकबर ने भगवान कृष्ण की पूजा के लिए इत्र भेंट किया था। आप ऐसे ऐतिहासिक सामंजस्य की कैसे अनदेखी कर सकते हैं । मुसलमान सदियों से ठाकुरजी की सेवा करते आए हैं। ठाकुरजी को रोज़ 12 पोशाक और साल में हज़ारों पोशाकों की ज़रूरत होती है।

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