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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार 14 मई को राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई. उन्होंने संविधान की रक्षा करने और अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करने की प्रतिबद्धता जताते हुए हिंदी में पद की शपथ ली. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई अन्य गणमान्य उपस्थित रहे. शपथ लेने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी माँ के पैर छुकर आशीर्वाद लिया. मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा यानी छह महीने से अधिक का है. उन्हें 24 मई 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया था.

कई चर्चित फैसलों का रहे हैं हिस्सा

जस्टिस बी आर गवई सुप्रीम कोर्ट में कई प्रभावशाली फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने का फैसला शामिल है. इसके अलावा मनीष सिसोदिया जमानत मामले में न्यायमूर्ति गवई के फैसले ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को मजबूत किया था. उन्होंने उस पीठ की भी अध्यक्षता की थी जिसने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया था.

न्यायमूर्ति गवई ने 1987 से 1990 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र रूप से वकालत की. 1990 के बाद उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष भी वकालत की. न्यायमूर्ति गवई को 2003 में बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और नवंबर 2005 में वे स्थायी न्यायाधीश बन गए. न्यायमूर्ति गवई ने लगभग 300 फैसले लिखे हैं. अपने न्यायिक करियर के दौरान, वे लगभग 700 पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने संवैधानिक से लेकर पर्यावरण कानून तक के कई विषयों को संभाला है.

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