शहर से गांव डगर तक की कहानी

राज्य स्तर पर सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत पारा शिक्षक एक बार फिर से आंदोलन की तैयारी में हैं. सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पारा शिक्षक अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं. इस बार पारा शिक्षकों की मांग या आपत्ति अपने ही स्कूल में उन्हें प्रधानाध्यापक या प्रभारी प्रधानाध्यापक नहीं बनाये जाने को लेकर है. सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा का कहना है कि स्नातक, स्नातकोत्तर, बीएड और टेट पास योग्यता के साथ-साथ 20-25 वर्षों के कार्य अनुभव के बाद भी पारा शिक्षकों को उनके स्कूल में प्रधानाध्यापक नहीं बनाया जा रहा है. 

सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा का कहना है कि  राज्य के लगभग सभी नव प्राथमिक विद्यालयों यानी एनपीएस में पारा शिक्षकों से प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य लिया जा रहा है.  प्राथमिक, उत्क्रमित और मध्य विद्यालयों में भी पारा शिक्षकों से प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य लिया जा रहा है. लेकिन, विद्यालयों में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति होते ही पारा शिक्षकों को प्रभारी प्रधानाध्यापक पद से हटाया भी जा रहा है.

मोर्चा के नेताओं का कहना है कि कई सहायक शिक्षक, जो पारा शिक्षकों से कम योग्यता रखते हैं लेकिन उन्हें प्रभारी प्रधानाध्यापक का पद दिया जा रहा है जो पारा शिक्षकों के साथ धोखा है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. पारा शिक्षकों को हटाकर सहायक शिक्षक को प्रधानाध्यापक या प्रभारी प्रधानाध्यापक का पद देकर शिक्षा विभाग पारा शिक्षकों की गरिमा और उनके मान-सम्मान के साथ खिलवाड़ कर रही है. पारा शिक्षक इस बार सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ेंगे. इस संबंध में एक लिखित आवेदन शिक्षा सचिव के साथ-साथ शिक्षा मंत्री व अन्य संबंधित अधिकारियों को भी भेजा गया है.

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