शहर से गांव डगर तक की कहानी

अजीत अंजुम 

मैं दो सप्ताह की बिहार यात्रा के बाद दिल्ली लौट रहा हूं (अब लौट चुके). मेरे ख़िलाफ़ FIR के विरोध में देश भर से न जाने कितने लोगों ने अपनी आवाज़ बुलंद की , उन सबका दिल से आभार . उनका कर्ज कभी चुका नहीं पाऊंगा . बिहार आया तो था सिर्फ एक सप्ताह के लिए लेकिन दो सप्ताह रुक गया . इसके लिए चुनाव आयोग का शुक्र गुजार हूं . पटना और बेगूसराय के जिला निर्वाचन अधिकारी का भी शुक्रगुज़ार हूं . मेरे ख़िलाफ़ FIR न हुई होती तो मैं तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक़ 15 जुलाई को दिल्ली लौट चुका होता . 13 की रात FIR की ख़बर मिलने के बाद मैंने तय किया कि अब ‘SIR’ के नाम पर बिहार में चल रहे फर्जीवाड़े की कुछ रिपोर्टस करके ही जाऊं . इसी वजह से कुछ असरदार रिपोर्ट्स कर पाया .चुनाव आयोग की गड़बड़ियों को उजागर कर पाया . बेगूसराय में FIR के बाद नई ऊर्जा मिली. टिककर कुछ काम कर पाया. फुलवारी शरीफ के ब्लॉक ऑफिस में तमाम BLO की तरफ़ से वोटर के फर्जी दस्तख़त के साथ भरे जा रहे फॉर्म का खुलासा किया तो पटना के डीएम साहब ने मेरी रिपोर्ट का खंडन कर दिया .दावा किया कि वहां मृत वोटर की लिस्ट बनाई जा रही थी . हालांकि मृत वोटर के बदले भी कोई BLO दस्तखत नहीं कर कर सकता . 12 घंटे के भीतर हमारी टीम ने उस लिस्ट में भी जिंदा वोटर को खोज निकाला .डीएम साहब के दावे की हवा निकाल दी . उनके खंडन का फैक्ट चेक करके बता दिया कि वहां फर्जीवाड़ा हो रहा था.

 

फिर लगा कि अब पटना में चल रहे फर्जीवाड़े की रिपोर्ट की जाए . दो दिन की मेहनत के बाद पटना से मैंने तीन रिपोर्ट की . साबित किया है कि मृतकों के फॉर्म भी जमा हुए हैं . जो छह – सात पहले मर गए थे , उनके दस्तखत से BLO ने FORM जमा कर दिए थे . मैंने अपने वीडियो में बार बार ये साबित किया . नतीजा ये हुआ कि चुनाव आयोग की तरफ से खंडन आना बंद हो गया .जिंदा वोटर तो सवाल की शक्ल में खड़े ही थे कि उनकी जानकारी के बिना कैसे उनके फर्जी दस्तख़त के साथ फॉर्म जमा हो गए . ऐसी रिपोर्ट्स का असर ये हुआ कि DM साहब बैकफ़ुट पर आए . पटना के उन वोटर के साथ हुए फर्जीवाड़े पर उनकी आँख खुली . मैंने दो सप्ताह पहले ही अपनी रिपोर्ट्स में बताया था कि कैसे चुनाव आयोग अपनी ही गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ा रहा है . वोटर्स को पावती नहीं दे रहा है . आज मैंने अपनी रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया है कि चुनाव आयोग ने जिन वोटर्स के हाथ में फॉर्म थमाकर उनकी तस्वीरे पोस्ट करके उन्हें पावती मिलने का दावा कर रहा है , वो कितना बड़ा झूठ है . फोटो खिंचवाकर उनसे फॉर्म वापस ले लिया गया . कोई पावती नहीं दी गई . इस रिपोर्ट के लिए आज मैं वैशाली जिले के महनार ब्लॉक के एक गाँव तक गया . ऐसी और भी कई रिपोर्टस मैंने की है , जिससे साबित होता है कि लाखों वोटर्स के साथ धोखा हो रहा है.

‘SIR’ की ये प्रक्रिया फर्जीवाड़े की बुनियाद पर टिकी है , इस प्रक्रिया पर ढेरों सवाल हैं लेकिन मीडिया इस पर कोई सवाल ही नहीं पूछ रहा है . खैर , FIR की जांच के सिलसिले में अगर पुलिस नोटिस भेजती है तो फिर आऊंगा . अगले महीने जब लाखों वोटर्स के फॉर्म की जांच होगी , तब भी एक राउंड आने की कोशिश करुंगा . हमारी छोटी सी टीम ने इन पंद्रह दिनों में दिन रात बहुत मेहनत की . लगातार सफर और खूब काम . आज ही हम लोग शाम पांच बजे ब्रेकफास्ट और लंच एक साथ कर पाए . सड़क किनारे एक – एक ग्लास सत्तू पीकर पूरा दिन भाग दौड़ करते रहे. आप सबकी हौसला – अफजाई ने हमें बहुत ताकत दी .

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