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कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान की निंदा की है जिसमें उन्होंने विपक्ष के उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी पर ‘नक्सलवाद को मदद’ करने का आरोप लगाया था. रेड्डी ने 2011 को दिए अपने एक फ़ैसले में सलवा जुडूम को ‘ग़ैर क़ानूनी’ क़रार देते हुए उसे ख़त्म करने के निर्देश दिए थे.

छत्तीसगढ़ में माओवादियों के ख़िलाफ़ सरकार के संरक्षण में सलवा जुडूम शुरू हुआ था. ये हथियारबंद समूह था जो नक्सलियों से लड़ाई में सुरक्षा बलों की मदद करता था. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी ने अपने फ़ैसले में कहा था, “युवा आदिवासियों को स्पेशल पुलिस बल की तरह इस्तेमाल करके नक्सलियों के ख़िलाफ़ लड़वाना ग़ैर-क़ानूनी और असंवैधानिक है.”

2011 में आये उस फैसले का ज़िक्र करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, “बी सुदर्शन रेड्डी ने सलवा जुडूम के ख़िलाफ़ जो फ़ैसला सुनाया था वो ना होता तो वामपंथी उग्रवाद 2020 में ही ख़त्म हो गया होता.”

पवन खेड़ा ने इसके जवाब में पीटीआई से बात करते हुए कहा, “अगर इनको लगता है कि वो जजमेंट ख़राब था तो सुप्रीम कोर्ट जाएं. सलवा जुडूम के ख़िलाफ़ जजमेंट का मतलब ये थोड़े ना है कि वो माओवाद के पक्ष में हैं. क्या आपको देश के सुरक्षाबलों पर भरोसा नहीं है जो आप सलवा जुडूम के फ़ेवर में बात कर रहे हैं. अगर किसी जज ने सलवा जुडूम के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया तो क्या आप उसका चरित्र हनन करने लगेंगे.”

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