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जिस दिन हेमंत सोरेन जेल गए . कहा जाता है कि वो रातों-रात आदिवासियों के बड़े नेता बन गए. उसी दौरान उनकी दाढ़ी बढ़ गई.लोग उन में उनके पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन की छवि देखने लगे. और रही सही कसर विधान सभा चुनाव ने पूरी कर दी. यही कारण है कि उनकी पार्टी झामुमो और उसके नेता-कार्यकर्त्ता बहुत उत्साहित है. पार्टी अधिवेशन में सीधे-सीधे हेमंत सोरेन को राष्ट्रीय नेता घोषित करने का प्रस्ताव आ रहा है. लेकिन सवाल ये है कि इसकी जरूरत ही क्या है। हेमंत सोरेन की लोकप्रियता देशव्यापी है ही, बल्कि उनकी विधायक पत्नी कल्पना सोरेन की शोहरत भी काम नहीं है।
हेमंत सोरेन की लोकप्रियता पूर्वोत्तर तक
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता तनुज खत्री के बक़ौल हेमंत सोरेन की लोकप्रियता न सिर्फ झारखण्ड में बल्कि पूर्वोत्तर तक है। उन्हें आदिवासी नेता लोग बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु से लेकर मणिपुर तक में मानते हैं। केन्द्रीय महाधिवेशन के बाद देश के अन्य राज्यों में आदिवासी समुदाय के अधिकारों को और बुलंद किया जा सकता है. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडेय ने कहा कि देशभर के लोगों ने देखा कि केंद्र और भाजपा के अत्याचार के सामने जो चटान के समान अडिग रहा, वह ताकत हेमंत सोरेन में है. उनके समर्थक यह समझते हैं कि उनके राष्ट्रीय अगुवा हेमत सोरेन बनें.
नियोजन नीति का लाभ आदिवासियों को मिले
पूर्व भाजपा विधायक नारायण दास ने हेमंत सोरेन को आदिवासी समुदाय के बड़े नेता के रूप में माने जाने के झामुमो के योजना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन सारे नेताओं को बताना चाहिए कि आदिवासियों के हित, स्थानीय नीति, नियोजन नीति और जनजातीय समुदाय से उनके द्वारा पूर्व में किये वादे पर कितना खरा उतरे हैं. वह चाहते हैं कि अगर हेमंत सोरेन बड़े नेता के रूप में उनके सामने आये तो उसका लाभ आदिवासियों को मिलना चाहिए. भाजपा के पूर्व विधायक और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नारायण दास ने कहा कि हमारे यहां भी बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, नीलकंठ सिंह मुंडा सहित कई बड़े आदिवासी नेता हैं. लेकिन हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत और सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करते हैं, इससे ही हमारे राज्य और देश का वैभव बढ़ेगा.